प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

शनिवार, 22 अक्तूबर 2011

दीवाली के रंग


दीपावली का दिव्य एवं पुनीत पर्व आप सबको शुभ हो !


प्यारी -प्यारी दिवाली 
मन को अच्छी लगने वाली 
फूलों से खिलते फूलों को 
हजार खुशियाँ लाये ।

बच्चों
 पिछले वर्ष की ही तो बात है ----
दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का समय हो गया था। पर ब च्चे, फुलझड़ियाँ ,अनार छोड़ने में 



मस्त -- । तभी दादाजी की रौबदार आवाज सुनाई दी ----
-देव --दीक्षा --शिक्षा जल्दी आओ --मैं तुम सबको एक कहानी सुनाऊंगा ।

कहानी के नाम भागे बच्चे झटपट घर की ओर । हाथ मुंह धोकर पूजाघर में बड़ी शांति से कालीन पर बिछी सफेद चादर पर बैठ गये  । सामने चौकी पर लक्ष्मीजी कमल पर बैठी सबका मन मोह रही थीं । पास में गणेश जी हाथ में कलम  लिए हमारी और देख रहे थे जैसे कुछ कहना चाह रहे होंI

  बातूनी देव मुश्किल से पाँच वर्ष का था पर बाल की खाल निकलने में माहिर था। बड़ी उत्सुकता से बोला ----
-दादाजी लक्ष्मी जी कमल पर क्यों बैठी हैं ?
-कमल अच्छा भाग्य  (good luck) लाने वाला होता है  और लक्ष्मीजी 
  जिस घर में जाती है वहाँ बहुत सा रूपया -पैसा आ जाता है।इस तरह दोनों  के साथ रहने से भाग्य दुगुना चमकता है I 


दीक्षा को अपने भाई की बुद्धि पर बड़ा तरस आया और बोली -
--अरे बुद्धू !इतना भी नहीं जानता !इसीलिये तो हम लक्ष्मी जी की पूजा करेंगे।
-देखो  दीदी मुझे चि
ढ़ाओ मत ।
दोनों की नोकझोंक देख गणेशजी अपनी सूंढ़ हवा में लहराते हुए बोले ---बच्चों रुपया -पैसा तुम्हारे पास आजाये तो पढ़ाई-लिखाई मत भूल जाना वरना सच में बुद्धू रह जाओगे I
दीक्षा अपने दादाजी का मुँह ताकने लगी I

--हा !हा !देखा --तुमको इतनी सी बात नहीं मालूम--- तुम भी बुद्धू हो !देव ने अपनी बहन को अंगूठा दिखाया I


-कमल तो  फूलों में सबसे अच्छा है।-आपने तो हमारे बगीचे में इसे उगाया ही नहीं! देव की  लट्टू सी आँखें दादा जी की ओर घूम पड़ीं I  
-नन्हे बच्चे ,यह बगीचे में नहीं ,तालाब की कीचड़ में पैदा होता है।
-फिर तो इसे हम छुएंगे भी नहीं । दीक्षा ने मुँह बनाया।



-कीचड़ में पैदा होता हुए भी यह ऊपर उठा साफ -चमकदार रहता है।
-कमाल हो गया --गंदगी में पैदा होते हुए भी गन्दा नहीं।
हाँ !तुम्हें भी गंदगी में रहते हुए गन्दा नहीं होना है।
 

-दादा जी हम आपकी बात समझे नहीं।
-बात बिलकुल साफ है--- स्कूल में तुम्हें गंदा बच्चा भी मिल सकता है  ,जो झूठ बोलता होगा ,नाक- मुँह में उंगली देता होगा । तुमको उसके साथ रहकर भी बुरा नहीं बनना है I
- समझ गये दादा जी, हमें कमल की तरह  साफ -सुथरा बनना है --अन्दर से भी साफ -बाहर से भी साफ I तभी तो लक्ष्मी जी हमको पसंद करेंगी । बच्चे चहचहाने लगे।
-अब बातें बंद--। आँखें मीचकर लक्ष्मीजी की पूजा में ध्यान लगाओ।
कुछ पल ही गुजरे होंगे कि बच्चे  झप झपाने लगे अपनी  आँखें कि किसकी झोली में लक्ष्मी जी सबसे ज्यादा  रुपयों की बरसात करती हैं पर वह तो खाली ही रही I दूसरे ही पल उन्होंने एक -दूसरे को  कुछ इशारा किया और भाग खड़े हुए तीनों तीन दिशाओं में---- पटाखे जो छोड़ने थे-----

लेकिन ---पकड़े गए I
-कहाँ भागे --पहले बड़ों को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लो और दरवाजे पर मिट्टी के दिये जलाओ ।
दीपक जलाते समय बच्चे  खुशी से  गाने लगे ---
दीप जलाकर खुशी मनाते
आई आज आह दिवाली ,
रात लगाकर काजल आई
फिर भी हुआ उजाला ,
घर  लगता ऐसा मानो
 पहनी हो दीपों की माला ।

प्रकाश से जगमगाती बच्चों की  दिवाली अभी अधूरी थी सो उसे पूरा करने को सरपट भागे -----पटाखे ,फुलझड़ियाँ  जो छोडनी थीं !



 दीपक 

 दीप प्रकाश देता है प्रकाश ज्ञान का प्रतीक है ।
-प्रकाश अन्धकार मिटाता है।
-ज्ञान हमारे अन्दर का अन्धकार(अज्ञान ) मिटाता है।

बिजली का बल्व 
-बिजली का लट्टू अन्धकार तो दूर करता है पर लक्ष्य नहीं बताता।
लक्ष्य --
दीपक की लौ सदैव ऊपर की ओर जलती है जो इशारा करती है ----हमेशा ऊपर की ओर उठते जाओ और ऊंचे आदर्शों को पाओ।







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