प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

सोमवार, 26 जुलाई 2021

कोरोना आया -7

 

जाना ही होगा

     सुधा भार्गव


 


“‘उठो ,क्या कर रहे हो ?”उसने बाहर खड़े ही बंद खिड़की को थपथपाया ।
“उँह सोने दो । मैं उठकर करूँगा क्या । कोई काम है ही नहीं ।” गिन्नी झुंझलाया
“अरे उठो न--धूप चढ़ आई । धूप चढ़े सोने से स्वास्थ्य खराब हो जाता है। “
“एक बार की कही बात तुम्हारी समझ में नहीं आती । तुम हो कौन उपदेश देने वाले ?”
‘वही जो सात समुन्दर पार कर तुम्हारे देश में आया हैं । चलो मेरे साथ मैदान में खेलने । मेरा मन नहीं लग रहा लगता है मेरा नाम सुनते ही सब घर में छिपकर बैठ गए हैं ।”
“ओह! वही --जो किसी को देखते ही खाने दौड़ता है और जहरीले दांत उसके शरीर में गड़ा देता है। तुमसे बचने के लिए ही तो मेरे दोस्त शन्नू ,टिन्नू और बन्नो ने घर में रहने का निश्चय कर लिया है ।”
“तो तुम और तुम्हारे साथी डरपोक हैं । “
“हम डरपोक नहीं समझदार हैं । घर में रहने से तुम हमें छू भी न सकोगे ।तुम हमें दिखाई तो देते नहीं हो ।भूले से भी तुम पर हमारी उंगली टिक गई बस छोड़ दोगे अपना जहर जो बीमारी के कीटाणुओं से भरा होगा।न बाबा --न !तुम से दोस्ती ठीक नहीं!”गिन्नी ने अपने कान पकड़े।
“तुम बेकार डर रहे हो ।यदि मेरे से लड़ने की शक्ति तुममें होगी तो मैं तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ पाऊँगा । ”
“वह शक्ति ही तो घर में जुटा रहा हूँ ।”
”तुम तो बड़े चतुर लगते हो । मैं भी तो सुनूँ --तुम क्या कर रहे हो ?”
“साबुन से ८-१० बार तो साबुन से हाथ धो ही लेता हूँ ।सुना है साबुन से तुम फिसल-फिसल जाते हो।बाहर निकलने से पहले मास्क लगा लेता हूँ । तुम्हारा क्या भरोसा कहीं तुम नाक में ही न घुस जाओ।फिर खूब दौड़ लगाता हूँ --घोड़े की तरह से ठक --ठक --ठक। तुम भी मुझे नहीं हरा सकते ।”
“हूँ ! तुम्हारी बात सुनकर तो ऐसा ही लगता है ।”
“और सुनो --सबसे थोड़ा अलग अलग रहते हैं ।खाते समय तो--बात करते समय तो --यहाँ तक कि चलते समय तो ।पहले तो बड़ा अजीब लगता था। अब तो आदत हो गई है ”
‘ऐसा हो ही नहीं सकता ।तुम मुझे चला रहे हो । तुम मां से कैसे दूर रहते होंगे ।हमेशा माँ के आँचल से तो चिपके रहते हो।”
“तुम क्या जानो माँ के आँचल की बात --वह तो जादू का आँचल होता हैं। जहाँ सर्दी लगी माँ झट से बच्चे को गोदी में ले अपना आँचल ओढ़ा देती है।यह पानी की बौछारों से बचाता है। गरमी लगने पर माँ इससे पंखे का काम लेती है। आँचल में छिपकर बच्चा अपना सारा दुःख भूल जाता है। कई बार तो इसी आँचल ने मुझे पापा की मार ने बचाया है।मैं भी किससे कह रहा हूँ। तुम क्या जानो प्यार किसे कहते हैं? बस प्यार करने वालों को अलग अलग करने में लगे हो। माँ से बच्चा छीन लेते हो --बहन से उसका प्यारा भाई। तुम्हारे कारण मेरे दोस्त के डॉ. पापा कई दिन से अस्पताल से घर नहीं आये हैं। तुमने इतने लोगों को बीमार कर दिया है कि अस्पताल भरा पड़ा है। उनका इलाज ख़तम ही नहीं होता ।मेरा दोस्त अपने पापा की याद में रोता रहता है ।तुम बहुत बुरे हो ।चले जाओ --मैं तुमसे बात भी नहीं करना चाहता ।” गिन्नी ने दूसरी तरफ देखते कहा।
“तुम्हारी माँ जरूर अच्छी होगी तभी तुम इतने अच्छे हो ।मैं तो यही नहीं जानता कि किसने मुझे जन्म दिया और कहाँ से तुम्हारे देश में आया ।पर मेरी माँ जरूर बुरी होगी तभी मैं बुरा हूँ और सबका बुरा ही चाहता हूँ।मैं हूँ ही इसी लायक कि कोई मुझे पसंद न करे ।तुम सब मुझसे लड़ने के लिए तैयार बैठे हो।लगता हैं मैं इस लड़ाई में हार जाऊँगा । मुझे जल्दी ही जाना पड़ेगा ।लो मैं अभी चला ---।तभी हवा में सरसराहट हुई लगा कोई तेजी से जा रहा है ।
समाप्त
2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें