चॉकलेटी डांसर / सुधा भार्गव
यह कहानी 'रोशनी के पंख' कहानी संग्रह -सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से ली गई है। इसमें मेरी ही कहानियाँ है। इस संग्रह का प्रकाशन 2024 में हुआ। यह पुस्तक नई दिल्ली ,दिल्ली,कोल्कत्ता,हैदराबाद,बेंगलूर ,लखनऊ आदि के प्रकाशन विभाग के विक्रय केंद्र में उपलब्ध है।
भोली-भाली मोरपंखी बड़ी मनमौजी और हंसमुख थी। हमेशा चिड़ियों की तरह चहकती-गुनगुन करती और अपना लहंगा पकड़ ठुमकने लगती। जब वह फिरकनी की तरह घूमती तो लगता मोर ने अपने रंगबिरंगे चमकीले पंख फैला रखे हैं। पापा अपनी लाड़ली को छेड़ते-“मोरपंखी -मोरपंखी तेरे पंख कहाँ?”नादान बोलती –“मेरे अच्छे पप्पू मुझे मोर के पंख लादो । उन्हें लहंगे में खोंसकर ता थइया -ता थइया करूंगी।“ पापा अपनी इस नन्ही डांसर को कलेजे से लगा लेते।
एक बार मौसी उनसे मिलने आईं। उन्हें “कसरत करने का बड़ा शौक। इसलिए सब उन्हें पहलवान मौसी कहती। मोरपंखी से उनकी खूब पटती।
उस दिन सुबह उठते ही मौसी छत पर चली गईं । दरी के ऊपर एक तौलिया बिछाकर कसरत करने लगीं। मोरपंखी की नींद खुली । उन्हें ढूँढते -ढूंढते छत पर पहुँच गई। बड़े कौतूहल से कुछ देर तो देखती रही । फिर उन्हीं की बगल में लेट कर शुरू कर दिये अपने हाथ- पैर फेंकने ,मरोड़ने । उसका नाजुक सा हाथ कभी मौसी की कमर से टकराता तो कभी पेट पर आन विराजता । ऐसा लगता मानों दो पहलवान कुश्ती लड़ रहे हों।
व्यायाम करने के बाद मौसी ने मोरपंखी की माँ को पुकारा-“ओ किशमिशी ,मेरा मनपसंद नाश्ता लगा दे । बड़ी भूख लगी है।”
“मम्मी ने तो अपनी पसंद का नाश्ता बनाया होगा।”मोरपंखी बोली।
“नाश्ता तो मनपसंद ही होना चाहिए । इससे मन खुश होता है और भूख भी ज्यादा लगती।” मौसी बोली।
अब तो मोरपंखी का भी डंका बज उठा – “माँ,मेरा नाश्ता भी मनपसंद । मैंने कसरत की है।”
नाश्ते करते समय मोरपंखी तुनक पड़ी -“मेरा मनपसंद नाश्ता !”
“दूध और कोर्नफ्लेक्स तेरी ही तो पसंद है।”
“यह तो आपकी पसंद है माँ । मुझे जबर्दस्ती दूध पिलाती हो।”
“मोरपंखी तू ही बता दे अपनी पसंद !”मौसी ने लाड़ लड़ाया।
“टॉफी -चॉकलेट !”
“अभी चॉकलेट नहीं हैं ।” माँ ने उसे घूरा ।
‘घर में चॉकलेट नहीं !’ अविश्वास से वह आँखें झपकने लगी। अभी हाल ही में तो उसने मम्मी को चॉकलेट का डिब्बा छिपाते देखा था। मन मारकर दूध -कोर्नफ्लेक्स गटक गई।
अगली सुबह वह मौसी के साथ छत पर गई। साथ में एक डिब्बा भी था। चहकते बोली –‘मौसी,देखो! मैं अपना नाश्ता साथ लाई हूँ।” डिब्बा हिलते ही चॉकलेट चटर -पटर कर उठीं। । हंसोड़ चॉकलेट निकली। उसने गप्प से मुंह में रख ली। बातूनी चॉकलेट निकली तो उसे गटक गई। तीसरी बार तीन -तीन शैतान चॉकलेट झांकी ।मोरपंखी ने उन्हें फटाफट चबा डाला।
“अरी, गले में अटक गईं तो मुसीबत समझ।”मौसी चौंक पड़ी।
“ मैं तो पूरा डिब्बा खतम करके रहूँगी।”
“मेरी मोरनी, इतनी टॉफियाँ तो तेरे पेट में उछलने लगेंगी।”
“उछलेंगी !गेंद की तरह!तब कल खाऊँगी । पर रोज खाऊँगी।“ वह थोड़ा डर गई।
“तब तो दाँत झड़ जाएंगे। पोपली लगने लगेगी। फुटबॉल सी मोटी और हो जाएगी। फिर नाचेगी कैसे?”
तभी मोरपंखी के पेट में टॉफियाँ हुल्लड़बाजी करने लगीं। लगा जैसे उचककर कोई उसके पेट से टकरा रहा है। चोट लगने से वह सिसकने लगी।
माँ भड़क उठीं-“रोना -धोना बंद कर और दवा खा । दर्द कम होने पर बची टॉफियाँ भी सटक लीजो।”
“मैं क्या करूँ! इन्हें देखते ही मेरी जीभ टॉफी -टॉफी कहकर आँसू गिराने लगती है।’’
पापा पिघल पड़े। पुचकारते बोले-“बेटा तुझे चाकलेट जरूर मिलेगी पर डार्क चॉकलेट खाया कर ।”
“क्यों पापा?”
“बच्ची , यह तो सौ मर्ज की एक दवा है। देख, शरीर के फायदे के लिए कुछ केमिकल्स जैसे पौटेशियम आयरन,मेग्नेशियम हमारे लिए बहुत जरूरी है। पोटेशियम कम हो गया तो तू जल्दी थक जायेगी । फिर डांस कैसे करेगी ? मेग्नेशियम कम होने से कसरत नहीं कर पायेगी । कभी कहेगी सिर दर्द हो रहा है कभी पैर में दर्द। मैं तो डाक्टर के चक्कर लगाते -लगाते पागल हो जाऊंगा। आयरन तो बहुत जरूरी है । इससे बाल लंबे हो जाएंगे। दाँत तो इतने मजबूत कि लोहा भी चबा लो।हैं न चॉकलेट गुणों की खान । ”
‘आहा, फिर तो मैं दो चोटी करूंगी, जब मैं गोल -गोल घूमूंगी तो मेरी चोटियाँ भी हवा में लहराएंगी।लेकिन मुझे तो भूरी चाकलेट एकदम कड़वी लगती है। एक बार आपने दी थी । मैंने तो चुपके से उसे नाली में डाल दिया । मैं तो उसके बिना भली। देखो मेरे हाथ कितने मजबूत हैं। एक मिनट में बिल्ली भगा दूँ। उड़ते मच्छर को मसल दूँ।”
“हा-हा मेरे बहादुर, यह सब अनार संतरा ,आलू ,केला खाने का नतीजा है। इनमें भी केमिकल्स होते है। अगर तुम फलों के साथ- साथ डार्क चॉकलेट भी खाने लगो तो दुगुनी ताकत आ जाएगी। ”
“ फिर तो मैं हाथी को भी मार गिराऊंगी,बंदर की ढिशुम कर दूँगी।” मोरपंखी उत्साहित हो उठी।
“तो हो जाय डार्क चॉकलेट ।“
“हाँ पापा ,अब तो मैं मिल्क चॉकलेट चखूँगी भी नहीं। सारे दिन ताता थईया—ताता थइया करके थकूँगी भी नहीं । और हाँ !अब डाक्टर के पास जाने की आपकी छुट्टी।‘’
“अरे वाह!फिर तो मेरी बेटी जरूर चॉकलेटी डांसर बन जाएगी ।”
मोरपंखी दौड़कर अपने पापा की बाहों में समा गई।
समाप्त
बच्चों के लिए शिक्षाप्रद कहानी रचने के लिए बधाई !
जवाब देंहटाएंरेखा जी व शास्त्री जी बहुत बहुत धन्यवाद
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