बच्चों
मुझे कुछ कहना है ----
कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो चखी जाती हैं ,कुछ सटक ली जाती हैं मगर कुछ खूब अच्छी तरह चबाई जाती है तब भी हजम नहीं होतीं | लगता है उनके बारे में दूसरों से बातें करो ,दूसरों को उन्हें सुनाओ |ऐसी ही एक कहानी मैं इस ब्लॉग पर पोस्ट करने जा रही हूँ |यदि कोई शब्द समझ में न आये तो अपनी मम्मी से पूँछ लेना इससे तुम्हारा शब्द भंडार बढ़ेगा ,यदि कोई वाक्य समझ में न आये तो पापा से समझ लेना |इससे तुम समझदार बनोगे |
हाँ तो अब पढ़ना शुरू करो --अरे याद आया !पढ़ो तो जोर -जोर से |यदि तुम कुछ गलत पढ़ोगे तो सुननेवाला उसे ठीक कर देगा ,फिर तो कक्षा में पढ़ाई की परीक्षा (reading test )के समय सबसे ज्यादा अंक आयेंगे |
मुझे कुछ कहना है ----
कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो चखी जाती हैं ,कुछ सटक ली जाती हैं मगर कुछ खूब अच्छी तरह चबाई जाती है तब भी हजम नहीं होतीं | लगता है उनके बारे में दूसरों से बातें करो ,दूसरों को उन्हें सुनाओ |ऐसी ही एक कहानी मैं इस ब्लॉग पर पोस्ट करने जा रही हूँ |यदि कोई शब्द समझ में न आये तो अपनी मम्मी से पूँछ लेना इससे तुम्हारा शब्द भंडार बढ़ेगा ,यदि कोई वाक्य समझ में न आये तो पापा से समझ लेना |इससे तुम समझदार बनोगे |
हाँ तो अब पढ़ना शुरू करो --अरे याद आया !पढ़ो तो जोर -जोर से |यदि तुम कुछ गलत पढ़ोगे तो सुननेवाला उसे ठीक कर देगा ,फिर तो कक्षा में पढ़ाई की परीक्षा (reading test )के समय सबसे ज्यादा अंक आयेंगे |
तो शुरू करते हैं कहानी ----
निशाने बाज /सुधा भार्गव
उस समय लड़कियां और औरतें कुएं से पानी खींचकर घड़े भरतीं ,फिर उन्हें सिर पर उठाकर घर की ओर धीरे -धीरे
कदम बढ़ातीं|गेंदाराम दूर से भरे घड़े पर निशाना लगाकर उन्हें फोड़ देता और खिलखिलाता----
हो गया छेद
फूट गया मटका
उसे लगा झटका |
गाँव वाले बड़े परेशान !सब उसे छेदाराम-छेदाराम कहकर चिढ़ाने लगे |चिढ़कर तो वह और भी तेजी से घड़े फोड़ता
|बच्चे -बड़े पानी के लिए तरसने लगे |
एक बार उस गाँव में दाढ़ी वाले साधुबाबा आये |
परेशान गांववाले उनके पैरों पर गिर गये और चिल्लाये ---
परेशान गांववाले उनके पैरों पर गिर गये और चिल्लाये ---
--क्यों छेदीराम !क्यों सताते हो इन लोगों को ?
--मेरा नाम छेदीराम नहीं गेंदाराम है |इन्होंने मेरा नाम बिगाड़ दिया है |मैं भी गुस्से में आकर इनके घड़ों की शक्लें बिगाड़ देता हूँ|
--तुम्हें जितना गुस्सा करना है करो ,जितने घड़े फोड़ने हैं फोड़ो ,पर एक शर्त है ---
--साधुबाबा ,आप तो बहुत अच्छे हैं |घड़े फोड़ने को मना भी नहीं किया !आपकी हर शर्त मानने को तैयार हूँ |
--सुनो ,जितने घड़े तुम फोड़ोगे,उतने तुम्हें बाजार से खरीदने होंगे |फिर उन्हें भरकर घर -घर पहुँचाओगे|
--यह तो मेरा चुटकियों का काम है दीये तो मुझे बनाने आते ही हैं घड़े भी बना लूंगा फिर पानी भरने में क्या देर !
अब तो वह पेड़ की ऊंची सी डाली पर बैठकर खूब निशाना लगाता|रात घड़े बनाने में गुजर जाती और दिन में उन्हें भरकर घर -घर पहुँचाता रहता |
गाँव वाले खुश --पुराने घड़ों की जगह उन्हें नये घड़े मिलने लगे |औरतें खुश -बिना मेहनत के पानी भरे घड़े उनके घर पहुँच रहे थे |गेंदराम खुश -निशानेबाजी के शौक को जी भरकर पूरा कर रहा था |पर उसका यह शौक कुछ दिनों तक ही पूरा हो सका |
रात -दिन के जागने से और पानी की ठंडक ने गेंदराम को बुखार ने आन दबोचा |घड़े बनाने से जो आमदनी होती थी वह कम होने लगी क्योंकि बने घड़े तो बाजार की जगह गांववालों के घरों में पहुँच जाते |
धीरे -धीरे घड़ों पर निशाना लगाना उसका कम हो गया |एक दिन ऐसा आया जब न ही उसने किसी के घड़े पर निशाना लगाया और न छेदीलाल कहने से चिढ़ा |
औरतें परेशान हो उठीं ---
-अरे इसे क्या हो गया है --न घड़े फोड़ता है और न चिढ़ता है |हमें सारा पानी भरना पड़ रहा है |इस ढोया-ढाईसे तो हमारे कंधे दुखने लगे |
--अब वह समझ दार हो गया है --एक लड़की बोली |
-गेंदा राम हँसकर बोला --सच में मैं समझदार हो गया हूँ |
अब न मैं अपने लिए गड्ढा खोदूंगा और न ही उसमें जाकर पडूँगा |
अब न मैं अपने लिए गड्ढा खोदूंगा और न ही उसमें जाकर पडूँगा |
कुछ सोचना है कुछ समझना है --
-कहानियों में बच्चों का भविष्य समाया हुआ होता है |
-अच्छी कहानी उनका मार्गदर्शक ,शिक्षक और अनुरागी मित्र होती है |
-बिना कहानियों के बचपन अधूरा है |
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