प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

लोककथा

चतुर किसान

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एक किसान ऐसे खेत में काम करता था जहां पहले गाँव बसा हुआ था । उसमें एक धनी आदमी रहता था। उसके पास बहुत सारा सोना चांदी था। उसने एक गहरा गड्ढा खुदवाया और चोरों से बचाने के लिए उसे उसमें भर दिया । यह बात उसने किसी को बताई नहीं। उसके कुछ दिनों बाद वह मर गया । तब से धन वहीं गड़ा हुआ था ।
एक दिन किसान खेत जोत रहा था । उसका हल सोने चांदी जैसी कड़ी चीज से टकराने के कारण वहीं रुक गया । उसने सोचा –जड़ें होंगी ,थोड़ी रेत हटाकर देखता हूँ । रेत हटाने पर उसे चमकता हुआ सोना दिखाई दिया । उसका मन जरा भी चलायमान नहीं हुआ। उसे अपने बहुत से काम  भी खतम करने थे इसलिए उसे पहले की तरह रेत से ढककर  रख दिया  ।
शाम को फुर्सत पाने  के बाद उसने अपने आप से कहा –यह धन तो बहुत है ।एक बार में इसे नहीं ले जा सकता । इसके चार हिस्से करूंगा और चार बार में घर ले जाऊंगा । एक हिस्सा अपने बीबी बच्चों पर पर खर्च करूंगा  ,दूसरे हिस्से से कपड़े की दुकान खोलूंगा। तीसरा हिस्सा गरीबों में बाँट दूंगा। और चौथा हिस्सा बुरे समय के लिए बचाकर रखूँगा।  
उसने जैसा सोचा वैसा ही किया । उसने अपना भला किया और दूसरों का  ध्यान रखने से  सबने उसकी प्रशंसा की।

(शबरी शिक्षा समाचार पत्रिका मार्च अंक 2015 में प्रकाशित)