सावन का महीना और नागदेव पूजा
आह !सावन का महीना शुरू हो गया है । रिमझिम बरसते पानी में भींगना ,तेज बारिश में
छपछप करते कागज की नाव तैराना बच्चों तुम्हें तो बहुत अच्छा लगता होगा । हरियाली तीज पर रंगबिरंगे
कपड़े पहन कर बहन जब झूला झूलेगी तो तुम जरूर उसे झोटा देना
याद आया इस महीने राखी का त्यौहार भी तो पड़ेगा जब
बहन की प्यारी सी राखी तुम्हारी
कलाई पर होने से वह भरी –भरी लगेगी, और तुम------
इतराते-इठलाते सबको दिखाते घूमोगे । अपनी गुल्लक
तैयार रखना ।
तुम्हें यह
जानकार ताज्जुब होगा कि हमारे देश में नागों की भी पूजा होती है । इसी महीने नाग पंचमी पर सर्प देवता की पूजा होगी
।जगह जगह सँपेरे घूमते नजर आएंगे ताकि महिलाओं को उनके दर्शन हो सकें।
घर में भी नाग का चित्र बनाते हैं और दूध और
आटे से पूजते हैं|
।
विश्वास किया जाता है कि इस दिन सर्पों को पूजने से वे खुश रहते हैं और कोई नुकसान नहीं पहुँचाते पर सच बात तो यह हैं कि जीवों की रक्षा करना ,उनका महत्व समझना हमारी प्राचीन परंपरा है और लुप्त होती इन परम्पराओं को हमें जीवित रखना है ।
मैं तुम्हें नाग की ही कहानी सुनाती हूँ । नाम है---
नाग देवता / सुधा भार्गव
नन्हीं सी एक चिड़िया थी । नाम था उसका -सुनहरी ।सूरज की किरणें जब उस पर पड़तीं , पंख उसके सोने की तरह चमकने
लगते ।
वह जामुन के
पेड़ पर रहती थी। जब कोई उसके पास से गुजरता , वह खुशी से नाच उठती ,चीं-चीं करके डाल -डाल
फुदकती।कोई बच्चा आराम करने के लिए जामुन के पेड़ के
नीचे रुक जाता तो चिड़िया
कुतर -कुतर कर जामुन उसकी जेबों में भर देती ।बच्चा गूदा-गूदा खाता ,गुठली फ़ेंक देता । इतने में
चिड़िया दूसरी जामुन टपका देती ---बच्चा उछल
कर उसे लपक लेता । चिड़िया उसकी कलाबाजी को
देख झूम उठती।ऐसा लगता - पेड़ चारों तरफ से आनंद की लहरों से घिरा हुआ है
पेड़ से कुछ ही दूरी पर सांप की एक बाँबी थी। वह उसमें
रहता और अक्सर चिड़िया को
देखा करता ।सोचता --यह न जाने क्यों इतनी खुश रहती है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj4eZH3IVfsA5hb0cuoQ_UOEuylJoDWZiHrom6VksWr_OrQtwJxFoIwLlaPsq__SqieUJhpfs_Fb3ALfhFCusinmSwZPqyiJ2LeXRY2RT2K2W2Gpscn4ItOrbod78m8LzNM0Rr9UrNjHj0/s1600/3+angry.jpg) एक दिन वह
चिड़िया से बोला ---सुनहरी ,तुम हमेशा
हँस -हँस कर गाती रहती हो ।,मुझे तो मुस्कराना तक नहीं
आता । तुम्हारा स्वर सुनकर हर कोई
गर्दन उठाकर ऊपर ताकने लगता है
---मुझे ----मुझे तो देखते ही
बच्चे -बूढ़े डरकर भागने लगते
हैं |
--मुझे दूसरों की संगति में ऐसा लगता है मानो आकाश के
सितारे नीचे उतर कर झिलमिला
रहे हों । मगर तुम --तुम तो उनपर
फुफकारते हो या उन्हें डस लेते हो ।तभी तो तुम्हें देख ते ही
सब डर जाते हैं । तुम्हारा यों गुस्सा करना
-----क्या ठीक है --?सुनहरी
बोली |
-यह सोचना मेरे साथ अन्याय करना है । मैंने जो माँ -बाप से
सीखा वही तो करता हूं।दूसरों को डराने से मेरा मन भी बहल जाता है।
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxF3O9Su4JKSCy_8RLPw6-_4n8c1VdfufJ44Zm1HLGTL96mrfzsEa0y6CxU_qJQxPhbOCm3n3pCNG8nCAcGRcCx-Nt-b-xNe_rUZHeaVSmXrQ1hIFrKGZ13sOHjNmMReKyMe7uBTccf0o/s1600/stones.jpg)
-वाह भाई ! वाह
! तुम्हारा तो मन बहल गया और दूसरे की जान पर बन आई । तुम स्वार्थी ----केवल अपने ही
बारे में सोचते हो । अपने स्वभाव में बदलाब लाओ । वरना ---
खतरनाक समझकर मौका पाते ही तुम्हें----
लोग पत्थरों से कुचल देंगे ।
नाग तो उसकी बातों से घबरा गया । पर उसकी समझ में यह नहीं
आ रहा था कि अपनी आदतें कैसे सुधारे !
वह सुनहरी के सामने दिल खोल बैठा ।
-दीदी अब तुम्हीं
बताओ -- फुफकारना कैसे छोडू । बचपन में जो
आदतें बन जाती हैं वे आसानी
से जाती नहीं ---चाहे वे अच्छी हों या बुरी। कसूर न होते हुए भी मैं सजा भुगत रहा हूं ।सब
मुझसे नफरत करते हैं ,दूर रहते
हैं।
-अच्छा एक काम करो --कल से तुम अँधेरा होते ही मेरे गीत
सुनने के लिए आना लेकिन उजाले में नहीं । दिनभर तो लोगों का आना
-जाना लगा रहता है । तुम्हें देखकर बेकार परेशान हो उठेंगे ।
चिड़िया की बात सुनकर नाग का चेहरा उतर गया ।
दुखी मन से
अपनी बाँबी में जाकर सो गया।
दूसरे दिन से वह रोज शाम को रेंगता हुआ आता --पेड़ के
नीचे मग्न होकर चिड़िया का मधुर गीत सुनता | उसकी मिठास उसके तन-मन में
ऐसी समाई कि वह फुफकारना भूल गया ।
एक रात सुनहरी
गाती रही ---नाग सुनता रहा । न वह सोई न वह सोया । सवेरा हो गया --लोगों ने देखा ,एक नाग आँख बंद किये
ध्यान मग्न है । बस फिर क्या था उसे नाग देवता समझकर
सब प्रणाम करने लगे । कभी दूध और फूल चढ़ाते तो कभी खुशबू वाली माला पहनाते ।
बच्चे-बच्चे को भरोसा हो गया कि सांप उनका कोई
नुकसान नहीं करेगा ।
चिड़िया की अच्छी
संगति में रहकर सांप ने अपने बुरे स्वभाव से हमेशा को छुटकारा पा लिया । अब वह दुष्ट नाग से नाग
देवता बन गया था ।
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क्या तुम जानते हो ?
सारे साँप जहरीले नहीं होते।
ये हमारे बड़े काम के हैं । किसान के तो एक तरह से मित्र हैं । उसकी खेती को नुकसान पहुँचने वाले कीड़े –मकोड़ों और चूहों को देखते ही यह सफाचट कर जाता है ।
इससे बहुत सी दवाएं बनती है जो हमें मरने से बचाती हैं ।
याद आया इसकी खाल से जूते ,चप्पल और तुम्हारी मम्मी के लिए पर्स भी बनते हैं जो बहुत कीमती होते हैं ।
यदि साँप नहीं होंगे तो तुम उनका तमाशा कैसे देखोगे ?
अब तो तुम मान ही गए होगे कि साँपों को बिना सोचे समझे
नहीं मारना चाहिए ।ईशवर ने किसी भी जीव को बेकार नहीं बनाया है
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