प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

गुरुवार, 31 मार्च 2011

सुनो हमारी -- बल्ले ----बल्ले


बल्ले ----बल्ले
सुनो हमारी / सुधा भार्गव



पढ़ने का मौसम भागा  रे भैया

छुट्टी का मौसम आया रे

खाओ पीओं , मौज उड़ाओ

कोई न आँख दिखाए रे
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क्यों बच्चो !

ठीक कहा न !


अच्छा जरा बताओ तो ---
कौन -कौन कहाँ जा रहा है ?

उड़कर जायेगा या चलकर
पटरी पर दौड़ेगा या 
कार  दौड़ा येगा
I

देखो -देखो कौन जा रहा है !गुलाल बिखेरता ------