गणेश चतुर्थी के अवसर पर
आओ हम कर लें
कुछ काम की बातें
कुछ ध्यान की बातें
कुछ रसभरी बातें
कथा कहानी की --
(पूत के पाँव पालने में )
बच्चों ,गणेश जी का आगमन होने वाला है |वैसे तो वे होशियार बच्चों के मध्य हमेशा रहते हैं | देवलोक में अपनी बुद्धि और चतुरता के कारण देवताओं के देवता कहलाते हैं और उनके भक्त शुभ काम करने से पहले सबसे पहले उनकी पूजा करते हैं |
कहते हैं पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं |मतलब छुटपन में ही मालूम हो जाता है कि बच्चा कैसा है |यह कहावत गणेश जी के लिए तो पूरी तरह से खरी उतरती है | बचपन में ही उनकी बुद्धिमानी का अंदाजा लगने लगा था |उनकी बुद्धि के चर्चे करती हुई अनेक कहानियाँ हैं ।
मैं भी तुम को ऐसी ही एक कहानी सुनाती हूँ जिसमें कल्पना की चाशनी भी बिखेर दी है ताकि कहानी की मिठास बढ़ जाये ।
कहानी
पूत के पाँव पालने में
पूत के पाँव पालने में
दो भाई थे -गणेश और कार्तिकेय |गणेश बड़ा था और कार्तिकेय छोटा ।उनके माता -पिता शिव -पार्वती कैलाश पर्वत पर रहते थे ।
दोनों झगड़ते भी थे और उनमें प्यार भी बहुत था |कार्तिकेय जब बहुत छोटा था तभी अपनी सवारी मोर पर गणेश को बैठा लेता और फिर वे चहकते हुए दूर -दूर की उड़ान भरते ।
धीरे -धीरे छोटे भाई के दिमाग में यह बात बैठ गई कि गणेश किसी भी तरह दौड़ में तो मुझसे जीत नहीं सकता क्योंकि उसकी सवारी चूहा है |
एक दिन दोनों भाइयों में झगड़ा हो गया |
बालक गणेश बोला -मैं बड़ा हूँ क्योंकि मैं तुझसे पहले दुनिया में आया |
कार्तिकेय बोला -मैं बड़ा हूँ क्योंकि तुम मुझसे तेज नहीं जा सकते |हर हालत में मैं तुमसे पहले निकल जाऊंगा |जो जीता वही बड़ा |
उसी समय ब्रह्मा जी के पुत्र नारद मुनि आ पहुँचे |वे विष्णु भगवान् का कोई संदेशा लेकर शिवजी के पास कैलाश पर्वत पर जा रहे थे |धरती पर शोरगुल मचता देख रुक गये |
बोले --नारायण ---नारायण |अच्छे बच्चे झगड़ा नहीं करते |
-अंकल .आप ही बताइए --हम दोनों में से कौन बड़ा है ?
-रुको --रुको --मुझे जरा सोचने दो -- अच्छा बताओ ,तुम दोनों किसको सबसे ज्यादा प्यार करते हो ?
-माँ को ।दोनों एक साथ बोले ।
तो सुनो
, -- जो पूज्य माँ के तीन चक्कर लगाकर सबसे पहले मेरे पास आएगा वही बड़ा होगा ।
, -- जो पूज्य माँ के तीन चक्कर लगाकर सबसे पहले मेरे पास आएगा वही बड़ा होगा ।
कार्तिकेय बहुत खुश हुआ--आह !क्या कहने --|मैं तो मोर पर बैठकर कुछ मिनटों में ही कैलाश पर्वत पर पहुँच जाऊंगा और माँ पार्वती के तीन चक्कर लगाकर लौट भी आऊँगा पर बेचारा गणेश --हा --हा |चूहे पर बैठ तो जायेगा पर जैसे ही तेजी से फुदक -फुदककर चलेगा ---गिरेगा धडाम से ।
|कार्तिकेय धरती छोड़ उड़ चला आकाश की ओर पर गणेश जहाँ खड़ा था वहाँ से हिला तक नहीं ।
|सोचने लगा -माँ ने जन्म दिया ,उसका दूध पीकर बड़ा हुआ पर अब तो मैं दाल- चाव् ल , लड्डू सब खाता हूँ | लड्डू में पड़ती है चीनी ,चीनी बनती है गन्ने से |गन्ना पैदा होता है धरती में |
मुझे नुक्ती के लड्डू तो बहुत पसंद हैं |नुक्ती बेसन से तैयार होती है .बेसन बनाया जाता है चने की दाल से और दाल भी मिलती है धरती से |जब धरती का अन्न खाकर बड़ा हुआ ,फिर तो वह भी मेरी माँ हुई |अब किस किस के चक्कर लगाऊँ --क्या करूँ क्या न करूँ ।
गणेश बालक सोच में पड़ गया |
-देरी हो रही है-----|जल्दी करो ----मुझ पर बैठो |मैं तुरंत पार्वती माँ के पास ले चलता हूँ | चूहा घबराया |
-मूसक महाराज, जन्म देने वाली माँ का चक्कर लगाऊँ या पालने वाली धरती माँ का लगाऊँ |
-दोनों के लगा डालो |
गणेश की आँखें चमक उठीं --|
उसने तुरंत एक कागज और पेन्सिल ली |पहले धरती बनाई |तुरंत उस पर हरियाली छा गई |उसके बीच पार्वती माँ का चित्र बना दिया।
आँखें मूंदकर माँ का ध्यान किया ,आँखें खोलीं तो लगा वे सामने सिंहासन पर बैठी उसी की और देख रही हैं और अपनी शुभ कामनाएं दे रही हैं। उसने झुककर प्रणाम किया और कागज पर लिख दिया -धरती माँ -- प्यारी माँ !
धरती माँ --माँ |
धरती पर खुश होकर फूल खिलखिलाने लगे और कागज --
उसकी तो पूछो ही मत ----
एक मिनट पहले जो कोरा सफेद था ,किसी की उसकी तरफ नजर ही नहीं जाती थी, अब वह रंग- बिरंगा होकर बड़ा सुन्दर लग रहा था । पार्वती माँ का साथ होने से उसने अपने को भाग्यशाली समझा ।
चूहे पर जल्दी से गणेश जी बैठे और जोश में बोले
चल मेरे साथी जल्दी चल
धरती माँ पर बैठीं मेरी माँ
धरती माँ पर बैठीं मेरी माँ
खट से लगा उनका चक्कर ।
धरती माँ का चक्कर लगाने के बाद वे नारद जी की बगल में खड़े हो गये | कुछ देर में कार्तिकेय भी आ गया |
-अरे गणेश ,तुम गये नहीं !छोटा भाई बोला |
-इसने तो माँ का ही नहीं पूरी धरती का चक्कर लगा किया |नारद जी ने कहा ।
-कैसे ?वह भी इतनी जल्दी |
-देखो उधर गणेश की लीला |
चित्र को देखकर कार्तिकेय अपने भाई के बुद्धिबल को समझ गया ।
रसगुल्ले की सी आवाज में बोला -भाई तुम मुझसे वाकई में बड़े हो |तुम जैसे भाई को पाकर मेरे मन का मोर नाच रहा है |
कहानी तो ख़तम हो गई पर गणेश चतुर्थी के दिन तुम सब जरूर कहना ---
गणेश पूजा |
विनती सुन लो हे गणनायक
हम है छोटे प्यारे बालक
हम को खूब बनाना लायक
खूब पढ़ाना ,खूब लिखाना
अच्छे अच्छे काम सिखाना
बड़े -बड़े हम यश पाएंगे
तुम्हें कभी नहीं बिसरायेंगे
विनती सुन लो हे गणनायक
हम हैं छोटे प्यारे बालक |
सोचो -समझो
बुद्धि ----
बुद्धि ----
बुद्धि का कटोरा |
महान दिमाग
महान दिमाग विचारों पर चर्चा करते हैं
औसतन दिमाग घटनाओं पर चर्चा करते हैं
छोटे दिमाग लोगों पर चर्चा करते हैं
एलिएनार रूजवेल्ट ऐसा कहते हैं ।