दो बालकहानी संग्रह -2022
कुछ दिन पहले वरिष्ठ बालसाहित्यकार श्री दिविक रमेश जी को मैंने अपनी दो किताबें भेजी थीं। उन्होंने बहुत जल्दी ही इनके बारे में मंतव्य लिख भेजा। मैंने कभी इतनी जल्दी प्रतिक्रिया की आशा न की थी। इतने व्यस्त होते हुए भी उन्होने इन किताबों को पढ़ा !मैं हतप्रभ थी। मुझे यह तो मालूम हो गया कि मैं कितने पानी में हूँ !भविष्य में मुझे क्या करना है । साथ ही मेरा मनोबल बढ़ा। किन शब्दों में उनका धन्यवाद करूँ समझ नहीं आ रहा ।
लेकिन एक बात मेरे दिमाग में और कौंधी -कौन कहता है पत्र विधा गुजरे जमाने की बात हो गई है । यह विधा तो जीवित है पर नए परिवेश में नया कलेवर लिए। वही आत्मीयता ,वही स्पष्टता ,वही शिष्टता और व्यक्तित्व की झलक मुझे उनके इस पत्र में मिली । बस अंतर इतना सा है कि यह पत्र किसी मानव पोस्टमैन से नहीं मिला बल्कि यह पत्र कंप्यूटर पोस्टमैन से मिला। छिटके बिदुओं के मिलान के लिए मैंने इस पत्र विधा को अपनाने का पक्का मन बना लिया है। मित्रों मैंने ठीक किया न !हाँ ,निम्नलिखित पत्र पढे बिना तो मेरी बात अधूरी ही रहेगी तो पढ़िये ---
आदरणीया सुधा भार्गव जी,
नमस्कार।
आपकी दो पुस्तकें - 'मिश्री मौसी का मटका' और 'यादों की रिमझिम बरसात' प्राप्त हुई हैं। हृदय से
आभारी हूँ।काफी-कुछ पढ़ गया हूँ।
पहली पुस्तक की मौसी अद्भुत है जिसे दुनिया का हर बच्चा अपनाना चाहेगा। आखिर हर वक्त उन्हें
यही तो लगता था कि 'उनके सीने में बहुत-सी कहानियाँ उबाल ले रही थीं कि कब मौका मिलेगा कब
उन्हें सुना दूँ।' आपकी कहानियों में जहाँ एक और 'सुनाने-सुनने' वाली लोक परम्परा की शैली का
शानदार निर्वाह हुआ है, वहाँ दृष्टि वैज्ञानिक रही है। आपके यहाँ रोबोट के रूप में वैज्ञानिक फेंटसी
का उपयोग हुआ है जो बहुत रचनात्मक ढंग से हुआ है। अर्थात सब कुछ कहानी की बुनावट में
समाया हुआ है। आपकी कहानी लिखित हैं लेकिन पढ़ते-पढ़ते निरंतर उन्हें सुनने का आनंद आता
रहता है। जिज्ञासा उत्पन्न करना और फिर उसे निदान की और ले जाना, इन कहानियों की खास
विशेषता है।हर कहानी के अंत में नयी कहानी के जन्म का संकेत भी बच्चों को बहुत प्रिय लगेगा।
पठनीयता और रोचकता कहीं नहीं चूकतीं।
मुझे तो अपना बचपन याद आ गया है।मैं दादा जी से कहानियाँ सुनता था।
दूसरी पुस्तक की कहानियाँ भी इन गुणों से समृद्ध हैं।भूत से संबद्ध कहानी का पूरा ट्रीटमेंट वैज्ञानिक
दृष्टिकोण का प्रतिफल है। मोटापे की जंग हो या बाल लीला अथवा जादुई मुर्गी या दंगल टोली,
आपकी कहानियों में मनोविज्ञान का पुट भी भरपूर रहता है। कम ही सही काव्य पंक्तियों का भी
अच्छा उपयोग हुआ है।
आपकी भाषा पर अच्छी पकड़ है। छोटे वाक्यों के उपयोग करने में आप माहिर है। आपके पास
अभिव्यक्ति के लिए लोक से उठाए अनेक शानदार शब्द हैं जो पाठकों में आकर्षण का कारण
बनेंगे।
एक और पक्ष बहुत अच्छा है। आपकी कहानियों में पात्रों के रूप में बच्चों की भागीदारी विशेष
रूप से है। अच्छी बात है।
आपको बहुत-बहुत बधाई।
शुभकामनाओं के साथ,
शुभेच्छु,
दिविक रमेश
Thanks
Divik Ramesh
L-1202, Grand Ajnara Heritage, Sector-74, Noida-201301
Divik Ramesh
L-1202, Grand Ajnara Heritage, Sector-74, Noida-201301