प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

बुधवार, 27 अगस्त 2025

कहानी की किताब -जैमिनी गूगल का कमाल

 

पुस्तक -रसगुल्ला भैया और तितली 


लेखिका -सुधा भार्गव 

चित्रांकन -जेमिनी गूगल 

साथियों ,मैंने जेमिनी गूगल की सहायता से पहली बार किताब तैयार करने की कोशिश की है। पूरी सफलता तो नहीं मिली है। कमियाँ हैं। कहानी मेरी है पर चित्र उसी के बनाए हुए  हैं। इसलिए उनपर copy right जेमिनी गूगल का  ही  है। 

कहानी अवश्य पढ़िएगा। लिंक दी जा रही है। 

https://gemini.google.com/share/8f069054f58dhttps://gemini.google.com/share/8f069054f58d

कहानी 

रसगुल्ला भैया और तितली

वसंत राजा के आने से धरती फूली नहीं समा  रही थी ।लाल नारंगी लहंगा पहने ,हरी चुनरिया ओढ़े लगता था छमछम नाच रही है। रुनक - झुनक आवाज सुन आसमान मेँ गोलमटोल बादल ने धावा बोल दिया। वह तो  धरती की सुंदरता को देख चकित रह गया।  । सोचने लगा-कितना अच्छा हो यदि मैं भी नीचे उतरकर खुशबूदार हवा मेँ गहरी- गहरी सांस लूँ ,कोयल का मीठा- मीठा गाना सुनूं। और तितलियों के साथ हवा मेँ उड़ूँ ।

जैसे ही नीचे को सरका तितली चिल्लाई-

ए रसगुल्ले भैया नीचे न आना । मेरे पर भीग जाएंगे। फिर मैं कैसे उड़ूँगी।

ऊँह अपने पंख देखे हैं!कितने गंदे हैं 1लगता है महीनों से नहाई नहीं है । उफ कितनी बदबू आ रही है।

तितली परेशान सी अपने पंखों को सूंघने लगी-नहीं तो –मेरे पंखों में  तो कोई बदबू नहीं आ रही।

मैंने कहा ना!  –आ रही है।

भोली तितली नटखट बादल की बात को सच मान बैठी। खिसिया कर बोली -तब क्या करूँ बादल भैया!

तुझे कुछ नहीं करना । धरती पर आने से मेरी रिमझिम- रिमझिम फुआरों मेँ सारी धूल फुर्र से पानी में बह जाएगी। देखते ही देखते सारे पेड़-पौधे ,फूल-पत्तियाँ और चिड़ियाँ हीरे मोती की तरह चमकने लगेंगे।

मेरा तो नाम ही नहीं लिया।

अरे तितली बहना –सबसे ज्यादा खूबसूरत  तो तू ही लगेगी।

ठीक है पर ज्यादा गरजना-बरसना नहीं।तेरा कोई विश्वास नहीं!

रसगुल्ला हँसता हुआ धरती की ओर उड़ चला।साथ में बूँदा बूंदी  होने लगी।देखते ही देखते सारी धरती नहा धोकर और भी ज्यादा सुंदर लगने लगी। ठंडी हवा के झोंके जैसे ही तितली से  टकराये  वह तो झूमने लगी। झूमते उड़ते एक फूल पर बैठती, प्यार से उसे सहलाती  फिर उड़ जाती दूसरे फूल पर। बादल को भी सबके बीच बहुत आनंद आ रहा था। 

एकाएक वह ठिठक गया।  तितली के पंख कुछ ज्यादा ही भीग गए थे। वह सोचने लगा -मैं तो यहाँ  खुशियां  देने आया हूँ  किसी को दुखी  करने नहीं। मुझे अब चले जाना चाहिए।” 

तितली उसके मन  की बात जान  गई थी। जैसे ही रसगुल्ले ने  अपनी उड़ान भरी, तितली प्यार से अपने पंख हिलाने लगी ।