प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

गुरुवार, 31 मार्च 2011

सुनो हमारी -- बल्ले ----बल्ले


बल्ले ----बल्ले
सुनो हमारी / सुधा भार्गव



पढ़ने का मौसम भागा  रे भैया

छुट्टी का मौसम आया रे

खाओ पीओं , मौज उड़ाओ

कोई न आँख दिखाए रे
|

क्यों बच्चो !

ठीक कहा न !


अच्छा जरा बताओ तो ---
कौन -कौन कहाँ जा रहा है ?

उड़कर जायेगा या चलकर
पटरी पर दौड़ेगा या 
कार  दौड़ा येगा
I

देखो -देखो कौन जा रहा है !गुलाल बिखेरता ------






यह तो मार्च है --अपने बड़के भैया के पास चला ------आँखों से- - -  ओझल  भी हो गया  I
                                      *                                 
सिर पर पगड़ी -पैर में जूती ,कुरते- सलवार पर चकमक चकमक जैकेट !
बल्ले -बल्ले करता मिला  वह
---


-बताओ ,कौन ?
अप्रैल
मार्च का  बड़कू भाई !

-छोटे ,ये तेरे लाल-पीले रंग नहीं छूटे I
-ओह भैया !
अभी तो होलिका जलाकर आ रहा हूं  I फिर उसकी खुशी में होली भी खेलनी थी I

-इसमें क्या ख़ास बात है- - --  होलिका तो हर साल जलती है I
-अरे नहीं- - - ! इस बार तो अपने अन्दर की होलिका को जला कर  आ रहा हूं मैं I
-अन्दर -बाहर  की होलिका  -- - -!क्या अंटशंट बक रहा है I

--भाई जी,दादू कहते हैं-- हर एक के शरीर में होलिका और प्रहलाद रहते हैं
I
-यह प्रह्लाद कहाँ से आन टपका !

-होलिका प्रहलाद की बुआ थी I बड़ी ही बुरी - - -गंदी- -  हर एक को मारने दौड़ती I
प्रहलाद बहुत अच्छा था I न लड़ता, न झगड़ता  I उसे भगवान् से बहत प्यार था और उन्हें हमेशा याद करता रहता I

एक दिन होलिका प्रहलाद को आग में लेकर  बैठ गई ताकि वह जल जाये लेकिन - - - - - -





-क्या लेकिन - -- जल्दी बोल I
--प्रहलाद तो बच गया  I

-ऐसा तो हो ही नहीं सकता I होलिका को भगवान् ने ही खुश होकर वरदान दिया था --उसका आग कुछ बिगाड़ नहीं सकती I
-यहीं तो गड़बड़ हो गई !उस दुष्टा ने यह नहीं सोचा कि नेक बच्चे को सताने से भगवान् गुस्सा हो जायेंगे I

-तब तो हमें भी दूसरों को तंग करने से डरना चाहिए I
-ठीक कहते हो भैया I इसी कारण मैं अपने अन्दर की होलिका जलाकर आया हूं I
--यह तूने अच्छा किया I हमें तो प्रहलाद की तरह बनना है I

ले  मेरे कुछ दोस्त भी आ गये
I
आ छोटे ,गले मिलें - - -

बैसाखी है ओए
बैसाखी
ओए - - -ओए
बल्ले - - - -बल्ले


(छवियाँ-  गूगल से साभार )

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया प्रस्तुति......रोचक भी ज्ञानवर्धक भी

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  2. रोचक प्रस्तुति। सरल और सहज-ग्राह्य।

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  3. आप बच्चों के लिए बहुत बेहतर काम कर रही हैं। इसे ज़ारी रखिएगा।

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  4. छोटे बच्‍चों के लिए रोचक प्रस्‍तुति ।

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  5. सचमुच बहुत सुन्दर प्रस्तुति। बच्चो के लिए हिन्दी मे बहुत कम सामग्री है। आपको बधाई।

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