क्रिसमस
भोले बच्चों
लो , मैं आ गया
हर त्यौहार प्रेम एकता और सद्व्यवहार का सन्देश देता है चाहे वह होली -दिवाली हो चाहे ईद -क्रिसमस । तुमको खुशियाँ देने वाला क्रिसमस आ गया है । आज हम इससे सम्बन्ध रखने वाली
कहानी सुनाते हैं ।कहानी का नाम है ----------------------
लो , मैं आ गया
एक छोटे से घर में दो लड़के रहते थे । एक का नाम था मंकी दूसरे का नाम था टंकी ।
उस दिन रात के करीब दस बजे होंगे और वे खाना खाने ही बैठे थे कि दरवाजे पर खट खट की आवाज सुन चौंक पड़े ।
-इतनी रात गए हमारे घर कौन आ गया वह भी इतने तेज ठण्ड और बरसते पानी में ।मंकी बुदबुदाया ।
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टंकी भी चिल्लाया -दरवाजा न खोल देना ।अम्मा भी घर पर नहीं है ।
दरवाजे की थाप रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी ।मंकी ने लकड़ी के दरवाजे में लगे गोल शीशे में झांककर देखा -उसी की उम्र का एक लड़का भीगा हुआ ठण्ड से थर थर काँप रहा है ।मंकी को उस पर दया आ गई और हिम्मत करके दरवाजा खोल दिया ।
टंकी ने जल्दी से अपने सूखे कपड़े देते हुए कहा -इनको पहन कर जलते कोयलों की अंगीठी के पास हाथ तापने बैठ जाओ ।ठण्ड से छुटकारा मिलेगा ।
कपडे बदलते ही लड़का बोला - मेरा नाम पेड़ है और मुझे भूख लगी है ।
-पेड़ !बड़ा अजीब नाम है ।हमने तो किसी दोस्त का यह नाम सुना नहीं ।
- न सुना हो--- पर मेरा नाम तो पेड़ ही है ।
-पेड़ ही सही ।हमारा क्या जाता है
मंकी झटपट उस थाली को ले आया जिसमें उनकी माँ उसके लिए और टंकी के लिए दही -रोटी और अचार रख गई थी ।
बोला -हमारे साथ बैठकर खा लो ।
-तुम्हारे हिस्से का मैंने खा लिया तो तुम भूखे रह जाओगे ।
-तुम्हारे खाने से हमें खुशी मिलेगी और हमारी माँ कहती है जो है उसे बाँटकर खाना चाहिए ।
लड़का समझदार था ।उसने मंकी -टंकी का थोड़ा -थोड़ा हिस्सा खाया और बाक़ी खाली पेट पानी से भर लिया ।
-मुझे नींद आ रही है ।लड़का बोला ।
-हमारी चारपाई पर सो जाओ।मंकी ने कहा ।
-तुम कहाँ सोओगे ?
-हम दोनों जमीन पर सो जायेंगे ।
-हमको कुछ नहीं होगा --सब तरह की आदत है ।यदि हम चारपाई पर लेट भी गए तो सो नहीं पायेंगे ।रातभर करवटें बदलते रहेंगे और सोचेंगे -तुम्हें जमीन पर लेटाकर अच्छा नहीं किया ।
लड़का आराम से चारपाई पर सो गया ।
सुबह मंकी -टंकी सोकर उठे ।लड़का चारपाई पर नहीं था ।वे परेशान हो उठे -इतनी सुबह कड़ाके की ठण्ड में लड़का कहाँ चला गया ।बाहर निकले तो देखा कोने में एक हरा-भरा पेड़ खड़ा है । उसकी टहनियों से रंगबिरंगे गोल -गोल गुब्बारे लटके हुए हैं ।टंकी -मंकी की नजरें एक -दूसरे की ओर उठ गईं जो कह रही थीं -यह कैसा चमत्कार ।रात में तो यहाँ कुछ न था ।
-पेड़ --पेड़ ,तुमने यहाँ से किसी लड़के को जाते देखा है ?टंकी ने पूछा ।
-वह लड़का मैं ही तो हूँ ।मैंने रात में कहा था --मेरा नाम पेड़ है ।देखो ---मैं पेड़ हूँ कि नहीं ।
--ओए, तुम इतने खुश नजर क्यों आ रहे हो ?मंकी पूछ बैठा ।
-एक साथ इतने प्रश्नों की बौछार !
-तुम्हें इतना भी नहीं मालूम कि आज क्रिसमस है -यीशु (Jesus Christ) का जन्मदिन ।ये दूसरों की खातिर सूली पर चढ़ गए थे ।इन्हें भगवान् की तरह याद करते हैं और मैं हूँ क्रिसमस ट्री ।
पेड़ झूमता बोला-
क्रिसमस ट्री है मेरा नाम
पूरी धरती मेरा गाँव
गली -गली मैं जाऊँगा
बच्चों को बुलाऊँगा
खेल खिलौने दूँगा उनको
चाकलेट से पेट भरूँगा
मोज़े -स्वटर देकर
ठण्ड से बचाऊँगा |
-तुम सब बाँट दोगे तो तुम्हारे पास क्या बचेगा ?
-तुमसे ही तो मैंने सीखा है -बाँट -बाँट कर खाओ ।मिलकर राह बनाओ ।तुमने मुझ भूखे को रोटी दी , पहनने को कपडे दिए ।आराम से चारपाई पर सोया ।अब मैं भी तुमको कुछ देना चाहता हूँ ।मेरे पास बहुत से उपहार के पैकिट हैं ।मंकी ,तुम उनमें से कोई एक चुन लो और उसे खोलकर देखो ।
मंकी ने लाल रंग का बैग चुन लिया ।खोलते ही उछल पड़ा ---
अरे इसमें तो केक रानी है ।गुलाबी -गुलाबी चेरी से सजी हुई ।आँखें मटकाकर ,हाथ नचाकर मानो कह रही हो -
मंकी आओ टंकी आओ
गपागप मुझको खाओ
मैं कोमल सी मीठी मीठी
स्वाद में हूँ बड़ी निराली ।
-लेकिन इसको खाने से तो केक रानी ख़तम हो जायेगी ,मर जायेगी ।मंकी दुखी हो उठा ।
-यही तो इसकी खूबसूरती है । यह जानती है कि खाने से वह ख़तम हो जायेगी पर दूसरों के काम आते -आते ख़तम हो जाना उसे पसंद है |
-टंकी तुम भी एक बैग ले लो ।
टंकी ने भी एक बैग लेकर खोला |
-इसमें तो तीन स्वटर हैं ।मुझे तो केवल एक चाहिए ।
-इसमें तो तीन स्वटर हैं ।मुझे तो केवल एक चाहिए ।
-ठण्ड लगने पर तुम तो अपना स्वटर मंकी को दे दोगे और खुद ठिठुरते रहोगे ।इसलिए सोचा दो रख दूँ फिर ध्यान में आया कोई मांगने आ गया तो उसे भी देने को चाहिए ।,इसलिए तीन ही ठीक रहेंगे ।
-ओह !कितना सोचते हो दूसरों के बारे में !
-यह मैंने यीसु से सीखा है ।अच्छा अब मैं चलूँ ।दूसरों को भी उपहार देने हैं ।
-अब कब आओगे ।मंकी ने पूछा ।
-अगले साल । मैं हर साल क्रिसमस के साथ आऊंगा ।
-जरूर आना ।तुम्हारे दिए उपहारों से हमें बहुत खुशी मिली है ।तुम खुशियाँ लाने वाले क्रिसमस ट्री हो ।
दोनों लड़के चिल्लाए --
प्यारे पेड़ -----मेरी क्रिसमस !
क्रिसमस का पेड़ वहां से फुदक -फुदक चल दिया लेकिन तब से अपने वायदे के अनुसार वह हर वर्ष बच्चों को खुशियाँ देने आता है और बच्चे भी उसका स्वागत खूब उमंग व् उत्साह से करते हैं ।
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