प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

सोमवार, 19 मई 2014

लोककथा


अनोखी मित्रता 
यह शिक्षाप्रद बालोपयोगी लोककथा शबरी शिक्षा समाचार पत्रिका में प्रकाशित हो चुकी है। 



राजा के पास एक हाथी था । जिसका नाम मंगलू था | वह बहुत शक्तिशाली था।  उसे खाने को अच्छी किस्म के चावल दिए जाते।जिस स्थान पर हाथी चावल खाया करता वहाँ कुछ चावल गिर जाया करते। उस समय एक कुत्ता हाथीशाला में  कर उन्हें  खा लेता । उसका यह रोज का नियम था। उसी सॆ वह अपना गुजारा करता।
उसकी हाथी  से अच्छी खासी दोस्ती हो गयी । दोनों ज़रा भी अलग -अलग नहीं रह सकते थे।कुत्ते को देखकर हाथी उसे सूढ़ से बार –बार छूता और कुत्ता भी हाथी की सूढ़ को इधर –उधर कर उससे खेलता। उसे प्यार से चाटता ।  
एक दिन गाँव से एक आदमी आया ।उसे कुत्ता बहुत अच्छा लगा।  वह हाथीवान को अच्छी -खासी कीमत देकर कुत्ते को अपने साथ ले गया
कुत्ते के बिना हाथी इतना दुखी हुआ कि  उसने खाना -पीना ,-नहाना सब छोड़ दिया । लोगों ने राजा को इसकी खबर दी । राजा ने तुरंत अपने मंत्री को बुलाया और कहा – मंत्री जी ,हाथी ने  खाना -पीना छोड़ दिया है इससे तो वह कमजोर हो जाएगा । जरा इसका कारण  तो पता कीजिये ।
मंत्री ने हाथी की अच्छी तरह जांच –पड़ताल की । उन्हें उसके शरीर में कोई बीमारी न दिखाई दी
उन्होंने हाथीवानों से पूछा – हाथी किसी को प्यार करता था क्या ?इससे इसका कोई प्रिय तो नहीं बिछुड़ गया ?कहीं उसी के गम में दुखी हो।
-हाँ मालिक !इसकी एक कुत्ते से बहुत दोस्ती थी ।घंटों खेला करते थे। कुछ दिनों पहले  उसे एक आदमी ले गया है । 
मंत्री ने राजा के पास जाकर कह दिया -महाराज !हाथी अपने दोस्त कुत्ते से बिछुड़ जाने के कारण बहुत दुखी है। इसी से सब कुछ त्याग  बैठा है। राज्य में घोषणा करवा दीजिए कि जिसके घर में हाथी का मित्र कुत्ता पाया जाएगा उसे राजदंड मिलेगा ।
राजा ने ऐसा ही किया । इस समाचार को सुनकर ले जाने वाले आदमी ने कुत्ते को छोड़ दिया।  कुत्ता दौड़ता हुआ आया और हाथी से चिपट गया । हाथी ने उसे सूढ़  से उठाकर माथे पर बिठा लिया।उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। माथे से कुत्ते को उतारकर पहले उसने सूढ़ से दोस्त को खाना खिलाया ,बाद में खुद ने खाया ।

 जिन्होंने भी उनकी इस दोस्ती और प्यार को  देखा  चकित हो गए और मन ही मन निश्चय किया कि वे भी अपनी दोस्ती हमेशा निभाएंगे।  

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