गुलाब मास -जून /सुधा भार्गव
बच्चो
बच्चो
जून का महीना
यहाँ जून, गुलाब का महीना(rose month ) कहलाता है।
घर -घर लाल पीले .गुलाबी खिल -खिल हँस रहे हैं ।लाल छींटे वाले नारंगी गुलाब ने तो मुझे चकित कर दिया । लगता है जैसे नारंगी परी ने लाल घाघरा पहन रखा हो।मजे की बात तो यह है कि इनके साथ ज्यादा मेहनत नहीं की जाती । मौसम की मेहरबानी से झाड़ियाँ बड़े -बड़े गुलाबों से ढक जाती है।हवा में उनकी सुगंध घुल गयी है। मन करता है इनके पास बैठकर कहानी लिखूँ !
लो ---चमत्कार ---कहानी लिख भी ली --
फूलों का राजा
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सुनो ---
एक बिल्ली थी । प्यारी -प्यारी ,दूध सी सफेद ---हाथ लगाओ तो लगता -
---मैली हो जायेगी ।
उसे फूलों का राजा बहुत अच्छा लगता ।लाल-गुलाबी चमकदार-- मन को खुश करने वाली खुशबू से भरा हुआ ।
बिल्ली सुबह ही उसकी झाड़ी के नीचे आकर बैठ जाती ।घंटों बैठी रहती---। गुलाब की खुशबू से वहाँ की हवा महकती ---बिल्ली जोर से साँस अन्दर खींचती ताकि गुलाब की सुगंध ज्यादा से ज्यादा उसके अंगों में बस जाये। इससे उसे ताजगी मिलती ,आराम मिलता।
एक दिन जोर से हवा चली। झोकों से गुलाब की टहनियां
झूम उठीं।उसकी पंखड़ियाँ झर-झर---- बिल्ली पर गिरने लगीं।
-आह !गुलाब राजा --तुम्हारी पंखड़ियां तो बड़ी ही कोमल हैं ।इनकी छुअन से मुझे ऐसा लगा मानो माँ दुलार रही हो ।
-लेकिन तुम तो माँ होकर दो घंटे से यहाँ बैठी हो ।तुम्हारे बच्चे तो तुम्हारी राह देख रहे होंगे ।
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-बच्चों की तो बात ही मत करो, बड़ा तंग करते हैं। मुझे भी उनपर गुस्सा आ जाता है।
-रे --रे --बच्चों पर गुस्सा --कभी नहीं --कभी नहीं ।ऐसा करो, उनके लिए फूल ले जाना ।मैं जहाँ भी रहता हूं वहाँ प्यार और खुशियों की बरसात होती है ।
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-तब तो आकाश से बूंदों के बदले गुलाब बरसने लगें तो कितने अच्छा- - - हो ।सारी दुनिया खूबसूरत लगने लगे।लड़ाई -झगड़ा छोड़कर सब हिलमिलकर रहने लगें।
बिल्ली ने गुलाब तोड़ने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसके काँटा चुभ गया ।सी --सी करते हाथ पीछे कर लिया और बुरा सा मुँह बनाया ।
-बस, एक काँटे के चुभने से घबरा गई। मैं तो हमेशा काँटों से ही घिरा रहता हूं।वे चाहे जब मुझे क़तर सकते हैं पर - - - मुसीबतों से क्या घबराना ।
-देखो तो- - मेरे कितना खून निकल रहा है !तुम्हें मजाक की सूझी है।
-तुम मुझसे प्यार करती हो ?
-हाँ ---बहुत - - ।
-जब मुझसे प्यार करती हो --- मेरे काँटे तो अपनाने ही होंगे। अच्छाईके साथ बुराई भी होती है ।
-एकाएक बिल्ली बेचैन हो उठी - - - ।
-बिल्ली बहना! तबियत तो ठीक है !
-बच्चों की याद आ रही है चलूँ---मैं अपने प्यारे बच्चों को बहुत डांट देती हूं। उन्हें प्यार से गले लगाकर ही मुझे चैन मिलेगा।
गुलाब ने बिल्ली को रोका नहीं। वह यह जानकर संतुष्ट था कि बहना का ह्रदय प्यार से भर गया ह। वह इसे बच्चों पर लुटाना चाहती है
गुलाब
-फूलों का राजा ।
-गुलाब की भाषा प्यार है।
-यह सच्चा मित्र है।सुख -दुःख में समान खुशबू देता है।
-फूलों में सारी धरती हँसती नजर आती है।
* * * * * *
वाकई लन्दन में आजकल गुलाबों की बहार है.उसपर आपकी कहानी की छटा निराली है.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कहानी बनी...
जवाब देंहटाएंरोचक . मनभावन . प्रस्तुति .
जवाब देंहटाएं.बहुत सुंदर . मेरी शुभकामनाएँ चूहेमल का देखो खेल
सुंदर चित्र सुंदर जानकारी....... और प्यारी कहानी
जवाब देंहटाएंpranam ! hum ne bhi aap ke sath londan ki sher kar li . wo bhi gulaab ke mahine me ( achchi zaankaari prapt hui )
जवाब देंहटाएंsaadar !
सुन्दर उद्देश्य परक रचना .भाव रचना कहें तो ज्यादा सटीक रहेगा .
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावात्मक रचना...आभार..
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