प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

शनिवार, 12 फ़रवरी 2011

बालसाहित्य --कहानी


नन्हे मुन्नों ,नन्ही गुड़ियाँ

दुनिया भर में ' नये दोस्त बनाओ ' दिवस मनाया जा रहा है |तुम भी नये -नये  दोस्त बनाओ  I दोस्तों के साथ समय बिताने में कुछ दूसरा ही मजा आता हैI लड़ाई-झगड़े दोस्ती की मिठास को दुगुना कर देते हैं I

नीचे लिखी कहानी को पढ़कर मेरी बात पर तुम्हें जरूर विश्वास हो जायेगा I
*
बाल  कहानी  /     सुधा भार्गव


दोस्ती





एक शेर था !सकी गुफा में एक चूहा भी रहता था !शेर शिकार करने को जाता और चूहे को दाना लाता !शिकार से ज्यादा उसे दाना खोजने में मेहनत पड़ती I वह अक्सर चिड़ियों के घोंसलों के नीचे खड़ा हो जाता I 


 चिड़िया माँ बच्चे की चोंच से अपनी चोंच भिड़ाकर उसे दाना खिलाती !- दाने नीचे भी गिर जाते I शेर उनको ही उठा लेता !चूहे का वे भोजन बनते !दिन में चूहा शेर की पीठ पर उछल- कूद करता और- - - - - - - -
दोनों सैर करने को जाते |

 


जंगल के सारे जानवर इनकी दोस्ती को देखकर हैरान थे !एक दिन खरगोश बोला --                

चूहे
मियां जरा बचकर रहना !अपने से ज्यादा शक्तिवान की दोस्ती
अच्छी दुश्मनी ! चाहे जब
वह रौब गाँठ सकता है ,कमजोर को सता सकता है !--चूहा डर से सिकुड़ गया !

वह गुफा में पहुंचा !शेर से दूर रहकर जमीन पर बिखरा दाना खाने लगा I शेरने देखा -'-चूहा बहुत गंभीर है ,बोल भी नहीं रहा है !'         
-चूहे
राम ,हमसे तुम गुस्सा हो क्या !'चूहा चुप !


-किसी ने कुछ कह दिया क्या ! मुझे बताओ !उसे अभी हवा में उछाल देता हूँ !

' दूसरा क्या कहेगा ,तुम मुझे ही हवा में उछाल सकते हो !शक्तिवानों का विश्वास करना ठीक नहीं !'

' क्या कहा !मैं शक्तिवान !शक्तिवान तो तुम हो !तुम्हारे पिताम ने मेरे पितामह को शिकारी के चंगुल से बचाया था ! वे उसके जाल में फँस गए थे जाल को दांतों से कट --कट रके काट दिया गया I तीन पीढ़ियों से हमारी दोस्ती चली रही है !'


' कुछ भी कहो ,मैं तो तुम्हे छोड़कर जा रहा हूँ !'चूहा अड़ गया !

'
जाओ ,मैं तुम्हे रोकूंगा नहीं ,शेर हूं !शे कभी धोखा धडी का सहारा नहीं लेता !तभी तो वह शेर रहता है और उसे सारा जंगल अपना राजा मानता है I '

'तुम अपनी तरीफ कर रहे हो पर मुझ पर कोई असर नहीं होने वाला ,मैं जा रहा हूँ!'

'बार -बार धमकी क्यों दे रहे हो ,कहा जाओ-- - !पर याद रखना ,यदि मैं मुसीबत में फँस गया तो कौन बचायेगा !'


चूहा जाते -जाते ठिठक गया !चुपचाप दाना कुतर -कुतर कर खाने लगा कनखियों से शेर को देखा और धीमे से हँस पड़ा

(चित्र -गूगल

  से  साभार )
 * * * * * * *

दोस्ती  
एक अनोखा रिश्ता है |






 
दोस्त जीवन को गुलाब की खुशबू की तरह महका देता है  |

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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर कहानी सुधाजी..... बच्चों के इस प्यारे ब्लॉग के साथ आपका स्वागत....

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  2. बहुत सुन्दर बाल कथा। नये ब्लाग के लिये बधाइयाँ।

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  3. Narendra vyas to me

    सम्मानिया सुधा जी
    प्रणाम !
    आपको बेहद-बेहद बधाई 'बाल्कुंज' के लिए. आपका बच्चों के प्रति ये प्रयास निःसंदेह वन्दनीय है..
    सादर

    नरेन्‍द्र व्‍यास
    http://www.aakharkalash.blogspot.com

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  4. Dr.Kumarendra Singh Sengar to me

    आपको बधाई और ख़ुशी भी हुई कि आपने एक अच्छे ब्लॉग की शुरुआत की, आपका आत्मविश्वास गज़ब का है.

    पुनः बधाई..

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  5. Very beautiful and inspiring stories...a must read

    Niharika
    London

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  6. Dear sudhji,
    really adoring story with reference to one old story.
    congratulations!

    rewa

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  7. बहुत सुंदर कहानी है,बिलकुल नए तेवर की। भले ही इसके पात्र जानवर हैं,पर यह मानव जगत पर भी लागू हो सकती है। बधाई।

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  8. मित्रवर
    आपने इस बलांग को सराहा--।
    उससे मेरा साहस बढ़ा और आज ही मैंने बालकुंज की दूसरी कड़ी प्रस्तुत की है॥लेकिन मुझे अपनी मंजिल का ओर -छोर कुछ नहीं दिखाई देता । आप बताइए --किस तरह बच्चों तक इसे पहुँचाया जाय ।मित्रो का मुझे सहयोग चाहिए।
    प्रतीक्षा रहेगी
    सुधा भार्गव

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