बच्चो
नव वर्ष का अभिनन्दन
साथ में मनभाती बालकहानी
नए वायदे -नये कायदे
सूर्य रथ |
नया साल सूर्य रथ पर सवार होकर निकलने वाला ही है | सारी पृथ्वी उसकी सुनहरी आभा से चमचमाने लगेगी ।आह ! हम कितने उत्साह से उसका स्वागत करने को बेचैन हैं ।पूरे 365 दिन वह मित्र बनकर हमारे साथ रहेगा -सोच -सोच कर ही आनंद की सीमा नहीं ।पर इसे मुट्ठी में बंद करके रखना है क्योंकि इसके रहते हुए ही हमें वे कार्य पूरे करने हैं जो हमने निश्चित किये हैं ।वे वायदे पूरे करने हैं जो हमने दूसरों से किये हैं ।हाँ याद आया कूछ काम पिछले साल के अधूरे भी तो रहगए हैं ,उनको भी तो पूरा करना है ।अरे यह क्या !नया साल तो हम से लुका छिपी खेल रहा है--देखो -देखो सर्रू के घर की ओर उड़ा जा रहा है ।ज़रा देखें -यह सर्रू कौन है ?
सर्रू तो चंदू की गली में रहता है ।दोनों में बड़ी पक्की दोस्ती है ।
एक दिन सर्रू बड़ा दुखी -दुखी सा स्कूल पहुँचा ।उसे देखकर चंदू को बड़ा आश्चर्य हुआ ।
इनके बारे में एक कहानी सुनानी होगी जिसका नाम है -
नए वायदे -नये कायदे
एक दिन सर्रू बड़ा दुखी -दुखी सा स्कूल पहुँचा ।उसे देखकर चंदू को बड़ा आश्चर्य हुआ ।
-अरे इसे क्या हुआ !कलतक तो बड़ा खुश नजर आ रहा था । न जाने क्या -क्या कह रहा था --नए वर्ष से गले मिलने से पहले घर सजाऊंगा ,बड़े बड़े रंगबिरंगे गुब्बारे फुलाऊंगा दोस्तों को टॉफियाँ दूँगा एक रात में इसका सारा जोश ठंडा पड़ गया ।पूछूँ तो ज़रा ।
-भईये --दो दिन बाद 2013 नया वर्ष शुरू होने वाला है पर तेरे चेहरे पर तो काले बादल मंडरा रहे हैं ।लगता है आँखों के रस्ते अभी बरस पड़ेंगे ।ऎसी हालत में तू नए साल का कैसे स्वागत करेगा ।
-मेरे पापा मुझसे बहुत गुस्सा हैं ।सर्रू रुआंसा हो गया ।
-तो इसमें नई बात क्या है ?मेरे पप्पा भी तो गुस्सा होते हैं ।
-केवल गुस्सा ही नहीं भूखे भी हैं ।रात से खाना नहीं खाया है जबकि मैं दो बार खा चुका हूँ ।
-खाने में क्या बना था ?
-मूंग की दाल ,पालक की सब्जी और रोटी ।
-तुम्हारी मम्मी नाश्ता भी बनाती होंगी ।
-हाँ !लेकिन नाश्ते की अलमारी छूने की हमें आजादी नहीं हैं ।
-पापा को तो होगी ।
- उनको कौन रोक सकता है !
-नाश्ते में क्या -क्या बना रखा है ?प्रश्नों की झड़ी लग गई ।
-अरे वाह !मेरी जीभ तो इन्हें खाने को बेचैन हो उठी है।चंदू ने लपलपाती जीभ निकाली ।
-तुम्हें अपनी पड़ी है ।मुझे पापा की चिंता सता रही है ।दादी कह रही थीं -न खाने से कमजोरी आ सकती है ।
-चिंता न कर ।पापा ने खाना नहीं खाया तो क्या हुआ --नाश्ता जरूर चार बार किया होगा ।डिब्बे खोलकर देखना ,सब खाली पड़े होंगे ।कमल ने राज की बात बताई ।।
परसों ही तो माँ ने गाजर का हलुआ बनाया था ।माँ ने उसे मुश्किल से आधा कटोरी दिया होगा ।
पढ़ाई से उसका ध्यान हट गया ।मैडम उसे क्या पढ़ा गईं ,कुछ पता नहीं ।किताब की जगह उसे केवल कटोरदान दिखाई दे रहा था ।वह केवल एक बात समझने की कोशिश कर रहा था यदि पापा ने सारा हलुआ खा लिया तो उसका क्या होगा !
-माँ --माँ सारा हलुआ कहाँ गया ।सर्रू पूरी ताकत से चिल्लाया ।
-ख़तम हो गया ।माँ ने सरलता से जबाब दिया और अपने काम में लग गईं ।
-पर इतना सारा ---किसने खाया ?
माँ चुप !पर सर्रू की समझ में आ गया था पापा के भूखे रहने का रहस्य ।नाश्ते पर हाथ साफ करने की तिकड़म वह भी भिड़ाने लगा ।
अगले दिन स्कूल जाने से पहले माँ ने दूध दिया ।उसने दूध का गिलास एक ओर सरका दिया ।
-दूध पीयो --दूध पीओ बस कहती रहती हो ।मैं नहीं पीता इसे ।माँ समझ नहीं सकी कि बेटा खौलते तेल की तरह उबल क्यों रहा है ।
दोपहर को वह घर लौटा ।बिस्तर पर जा लेटा ।मुरझाया -बेजान सा ।
आदत के अनुसार माँ ने उसका बैग खोलकर देखा ।सर्रू ने परांठे का एक टुकडा भी नहीं तोड़ा था ।माँ का दिल भर आया ।जरूर बेटे की तबियत ठीक नहीं है ।वह एक प्याले में गर्म दूध लाई ।
बोली -सुबह से कुछ नहीं खाया है ।बोर्नविटा वाला दूध पी ले ।ताकत आयेगी ।
-केवल पीने को दे रही हो ,खाने को तो कुछ दो ।
-अभी खाने को लाती हूँ ।तेरी मनपसंद के दाल -चावल बनाये हैं ।मैं सुबह से भूखा हूँ ।भूखा कोई खाना खाता है ।
-तब क्या खाता है !माँ हैरान थी ।
-नाश्ता !नाश्ता भी कहाँ हैं ।सब तो पापा खा गए ।
-अंतिम शब्द कानों में पड़ते ही माँ की हँसी फूट पड़ी ।प्यार से सर्रु को उठाते हुए पूछा --मेरा अच्छा बेटा क्या खायेगा !
माँ तो रसोईघर में चली गई पर भूखा सूरज जल्दी ही सो गया ।यह देख माँ का ह्र्दय बेचैन हो उठा ।उसने जल्दी -जल्दी हाथ चलाये तब भी हलुआ-पकौड़ी समोसे बनाते -बनाते आधा घंटा तो लग ही गया ।भुने बेसन की खशबू से पूरा घर महक उठा ।जैसे ही सर्रू ने करवट बदली महक से उसके नथुने भर गए ।वह उठा ।हलुआ --हलुआ कहता माँ से चिपट गया ।-एक कटोरी नहीं दो कटोरी खा ।तेरे लिए ही तो बनाया है ।माँ ने स्नेह बरसाया ।
सर्रू सोचने लगा --भूखे रहने का तो बड़ा फायदा है ।
शाम को उसके पापा आफिस से आये ।माँ ने उनके सामने भी प्लेट में हलुआ-पकौड़ी रख दीं ।वे तो देखते ही उछल पड़े --यह सब किस खुशी में !
-आज आपका बेटा सवेरे से भूखा है ।वह केवल नाश्ता करेगा ,खाना नहीं खायेगा ।
पत्नी की बात सुनकर सूरज के पापा को झटका लगा मानो किसी ने उन्हें आकाश से नीचे फ़ेंक दिया हो ।
जैसे -तैसे नाश्ता गटकने लगे ।
-गलत तो गलत ही है ।भोजन करने के समय केवल लड्डू -मठरी -हलुआ खाना किसने बताया है ?
तुम ठीक कह रही हो ।नया वर्ष शुरू होने वाला है ।इसमें कुछ वायदे किये जाते हैं नए कार्य को कायदे से शुरु करने के सपने संजोये जाते हैं और अधूरे कामों को पूरा करने में जी जान से जुट जाते हैं ।
-मेरी सहेली ने तो मन में ठान ली है कि नए साल -पहली जनवरी से सुबह 7 की बजाय 6बजे बिस्तर छोड़ देगी और सुबह की सैर करेगी ।
-मैं भी तुमसे और अपने बेटे से नए साल में एक वायदा करता हूँ कि भोजन के समय भोजन ही करूंगा और नाश्ते के समय नाश्ता --मगर --।
हाँ --हाँ कह डालिए जो भी मन में है ।
-मगर लड्डू -मठरी खाना नहीं छोडूंगा ।
-पापा की शरारत भरी बात को सुन सर्रू और उसकी माँ ठहाका मारकर हँस पड़े । उस दूधिया हँसी की गूँज घर -बाहर फैल गई ।जिसे नये साल ने भी सुना ।वह उल्लास से भर उठा और उसके कदम सर्रू के घर की ओर बढ़ गए ।
यह तो मालूम हो गया कि नया साल सर्रू के घर की ओर क्यों उड़ चला था ।
अब इन बच्चों की बातें भी सुनी जाएँ -----
नए वर्ष का नया दिन हर एक का जन्मदिन होता है ।
नए साल में हम एक किताब खोलेंगे जिसके पन्ने खाली होंगे । हम खुद उन पर लिखकर अपना भाग्य बनायेंगे ।
bachchon ke liye aapne nav varsh par bahut hee upyogi tathaa gyaan-vardhak kahani post kee hai jo unke manoranjan ke sath-sath naee dishaa bhee deti hai,badhai.
जवाब देंहटाएंनया साल आप सभी के जीवन में नया उल्लास और नई खुशियाँ लेकर आए**
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