भोली मुनिया
नीले आकाश में बादल घिर आए । देखते ही देखते वे बरसने भी लगे । ठंडी -ठंडी फुआरों से सारी गरमी शांत हो गयी । हवा के शीतल झोकों से फूलों की डालियाँ हिलने लगीं । कलियाँ पत्तों से झांकने लगीं । फूल हंसने लगे । लेकिन उस बाग़ के एक कोने में मुनिया खड़ी - सुबक रही थी ।
बादल भाई वहां से गुजरे तो सहम गये. सोचने लगे -'सारी धरती खुशी से नाच रही है । ऐसे समय मुनिया को क्या हो गया है !क्या मुझसे कोई गलती हो गयी । '
'मुनिया --मुनिया क्या तुम रो रही हो ?'
'हाँ ,बादल भाई । '
'मगर क्यों ?'
'मनु मेरा छोटा भाई है । उसने मेरी गुड़िया तोड़ मरोड़ दी है । अब मैं किसके साथ खेलूंगी । '
'क्या तुमने अपनी मम्मी से शिकायत की ?'
'हाँ ,जब मैंने उन्हें अपनी घायल गुड़िया को दिखाया तो मनु को डांटा भी नहीं । कहने लगीं --पागलों की तरह क्यों रोंती हो !दूसरी गुड़िया ला देंगे । मैं उस गुड़िया के साथ बहुत दिनों से रहती हूँ । उसके बिना मैं बहुत दुखी हो जाऊँगी मुझे उदास देखकर माँ भी मुझपर हंसती हैं और भाई अंगूठा दिखा -दिखाकर मुझे चिढ़ाता है । '
बादल भाई नीचे उतरे और मुनिया का आंसुओं से भरा चेहरा अपने रुई से मुलायम हाथों में लेकर बोले -
'मुनिया बहन ,अपने लिए इतना मत रोओं वरना दूसरे तो हँसेंगे ही । '
'तुम भी तो रोते हो । कभी धीरे -धीरे ,कभी जोर से । लेकिन तुम पर कोई नहीं हँसता । 'मुनिया ने कहा '।
'यह तुमने कैसे जाना ?।
'जब रिमझिम बरसात होती है तो मैं समझ जाती हूँ तुम धीरे से रो रहे हो । जब मूसलाधार पानी बरसता है तो तुम जोर से रो देते हो । परन्तु तुम्हारे आंसुओं की धार में नहाकर कोई खुश होता है तो कोई तुम्हारी तारीफ करता है । मुनिया ने अपने दिल की बात कह दी ।
'तुम्हारा कहना एकदम ठीक है । परन्तु तुम्हारे और मेरे रोने में एक अन्तर है। तुम अपने लिये रोती हो मैं दूसरों के लिये रोता हूँ । तुम अपनी भलाई की बात सोचती हो मैं दूसरों के हित को ध्यान में रखता हूँ।
'तुम किस तरह से दूसरों का भला करते हो ?'मुनिया ने पूछा ।
'मेरे पानी बरसाने से सूखे पेड़ -पौधे हरे- भरे हो जाते हैं । खेतों में पानी पड़ने से फसल लहलहाने लगती है जिसे देख किसान झूम उठता है । नदी ,तालाब में जल भरने से पशु पक्षी उसे पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं मोर तो पंख फैलाकर एक बा
र नाचना शुरू करता है तो नृत्य करता ही रहता है । मैं इन सबको प्रसन्न करने के लिये ही तो आंसू बहाता हूँ। '
'इससे तुम्हें क्या मिलता है?'भोली मुनिया ने पूछा ।
'दूसरों को खुश होता देख मैं भी बहुत खुश होता हूँ । '
'बादल भाई तुम तो दूसरों का बहुत ध्यान रखते हो । मैं तो अपने खिलौने किसी को नहीं छूने देती । कभी कभी तो भइया की गेंद भी छीन लेती हूँ । '
'यह तो अच्छे बच्चों की पहचान नहीं है । 'बादल ने कहा ।
बादल भाई अब मैं भी ऐसे काम करूंगी जिससे दूसरों को सुख मिले । '
मुनिया की बातें सुनकर बादल भाई मुस्करा दिए । बादल के चेहरे पर गुलाब खिले देख मुनिया भी हँस दी । अब वह जल्दी से उड़ चला । मुनिया खड़ी-खड़ी देखती रही जब तक वह उसकी आंखों से ओझल न हो गया ।
शबरी शिक्षा समाचार पत्रिका के फरवरी २० १३ अंक में प्रकाशित
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बहुत सुंदर और प्रेरणा दायक कहानी है जी ....
जवाब देंहटाएंसुंदर कहानी
जवाब देंहटाएंउपरोक्त खानी पढ़कर अपने बच्चों का बचपन याद आ गया जब बिना कहानी सुने सोते ही नहीं थे ...और जाने कैसे मेरी कहानी के पात्र भी उनके साथ बड़े होते जाते थे .....बहुत सुंदर और प्रेरणाप्रद
जवाब देंहटाएंअपने ब्लॉग का पता छोड़ रही हूँ ...एक नजर डालेगीं तो मुझे ख़ुशी होगी ..आपका स्वागत है
http://shikhagupta83.blogspot.in/