प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

मंगलवार, 27 दिसंबर 2022

मिश्री मौसी का मटका की समीक्षा -साहित्यकार हरिसुमन बिष्ट

       पिछले दिनों मुझे साहित्य और संस्कृति की द्विमासिक पत्रिका -पुस्तक संस्कृति मिली। 2022 के आरंभ में ही 'मिश्री मौसी का मटका' - पुस्तक नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित हुई थी। 2022 के अंत होते होते वरिष्ठ साहित्यकार हरि सुमन बिष्ट की समीक्षा भी इस  पत्रिका में पढ़ने को  मिल गई। जिसे उन्होंने बड़े जतन -मनन के साथ लिखा है। पढ़कर मुझे बहुत अच्छा लगा। लेखनी को शक्ति मिली। मैं उनकी बहुत बहुत आभारी हूँ । 










 

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