प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

सोमवार, 19 मई 2025

बालप्रहरी का ऑन लाइन कार्यक्रम

 बालप्रहरी वीडियो - कहानी वाचन कार्यशाला 

18 मई, 2025




कहानी वाचन  कार्यशाला
          18 मई,2025 रविवार                                        
          सायं 7 बजे गूगल मीट पर        
         बालप्रहरी का 1184वां
            ऑनलाइन कार्यक्रम

                    अध्यक्षता : 
        डॉ. शकुंतला कालरा जी
                       दिल्ली

               मुख्य अतिथि  :
    डॉ. एम.एन.नौडियाल ‘मनन’
                देवप्रयाग,टिहरी

                कहानी वाचन
        श्रीमती सुधा भार्गव जी,
               बैंगलौर, कर्नाटक
                     
         अध्यक्ष मंडल ( बाल मंच)
   

     कहानी वाचन का मुझे शौक है और मैंने कई बार किया है पर इस बार जब उदय किरौला जी द्वारा मुझे कहानी वाचन का निमंत्रण मिला, मेरी प्रसन्नता की  सीमा न थी। क्योंकि कार्यशाला की  अध्यक्षता डॉ शकुंतला कॉलरा जी करने वाली थीं। यह पहला मौका था जब कोई वरिष्ठ जाना माना साहित्यकार मेरी कहानी सुनकर उसकेबारे में अपने विचार व्यक्त करे . यह सोचकर मैं और भी रोमांचित हो उठी कि आज मुझे पता लगेगा --- मैं कितने पानी में हूँ। धड़कते दिल से नहीं बल्कि बड़े उत्साह से मैंने कहानी वाचन किया । बच्चों ने व अन्य विद्धजनों ने कहानी को   काफी पसंद किया। बच्चों ने बेझिझक टिप्पणी भी दीं। । सबसे बड़ी बात  शकुंतला जी ने भी मुझे पास कर दिया । मैं तो उछल पड़ी । 

              

वैसे भी मुझे बालप्रहरी के ऑन लाइन कार्यक्रम इसलिए अच्छे लगते हैं क्योंकि बच्चे खुद  भाग लेते हैं। उसका संचालन करते हैं। विविध कार्यक्रमों के द्वारा बच्चों की प्रतिभा के द्वार खुलते हैं। उन्हें आगे बढ़ने का मौका मिलता है। प्रोत्साहन मिलने के कारण  बच्चों में गजब का  आत्मविश्वास कौतूहल विचारणनीय शक्ति देखने को मिलती है जिससे मैं हैरान हो उठती हूँ। मुझे इनके  कार्यक्रमों में भाग लेना अच्छा लगता है क्योंकि बच्चों का संसर्ग मिलता है।उनकी छल -फरेब से परे  एक दुनिया होतीहै। कहानी अच्छी लगी या नहीं इसके निर्णायक बच्चे  खुद हों तो समझ लो रचना के साथ न्याय हुआ है। 
यदि ऐसी ही अन्य ऑन लाइन कार्यशालाओ का आयोजन हो और पूरे देश से बच्चे जुड़ें तो मेरे ख्याल से इससे अच्छी क्या बात होगी।  










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