बाल कहानी
प्यार की भूख
एक हाथी था जिसका नाम था मंगलू | उसकी कुछ अलग ही शान
थी। शान तो होनी ही थी राजा का हाथी जो ठहरा। मंगलू को अच्छी किस्म के भरपूर चावल दिए जाते।वैसे चावल दूसरे
हाथियों की तकदीर में न थे। उन्हें खा-खाकर वह मोटा और ताकतवर हो गया।
उसकी आदत हो गई थी कि खाते समय अपने चारों तरफ चावल छिटकाता और बड़ी मस्ती
से झूमता उन्हें चबाता । उन चावलों की खुशबू हवा में घुल - घुल जाती। एक दिन वह
खुशबू कुत्ते की नाक से जा टकराई।
-अरे
वाह!क्या चावल है। खाने वाले की तो किस्मत ही खुल गई होगी । जरा देखूँ तो वो कौन
भाग्यवान है?
यह सोचकर वह सूंघते-सूंघते हाथीशाला तक आ पहुंचा। मोती से दमकते सफेद चावलों को देख उसकी तो लार टपकने लगी।
-आह!आज तक ऐसा महक वाला चावल न देखा और न खाया। एक मिनट में ही जमीन के सारे चावल सफाचट कर देता
हूँ।
पालक झपकते ही चावलों को वह सपासप खा गया। चावल उसे इतने अच्छे लगे कि उनके
लालच में अब वह हाथीशाला रोज आने लगा। जो भी चावल के दाने वहाँ बिखरे होते उन्हीं को खाकर बस अपना
गुजारा करता। भूखा रहने पर भी वह दूसरी जगह
जाकर नहीं खाता था क्योंकि वहाँ के चावल उसे इतने स्वादिष्ट नहीं लगते थे।
अपनी शाला में कुत्ते को देखकर हाथी बड़ा खुश होता । अकेले –अकेले रहते वह
उकता जाता था। कुछ ही दिनों में दोनों की अच्छी खासी दोस्ती हो गयी। इस दोस्ती पर प्यार का रंग ऐसा चढ़ा कि एक
मिनट अलग रहना भी उनके लिए मुश्किल हो गया। कुत्ते को देखकर हाथी उसे सूड़ से बार –बार
छूता और वह भी हाथी की सूड़ को इधर –उधर कर उससे खेलता। उसे प्यार से चाटता।
अब तो हाथी आप जानकर ज्यादा से चावल सूंड़ से इधर -उधर फैला देता ताकि कुत्ते
को कम न पड़ जाएँ और वह भूखा न रहे। पेट भर खाने से कुत्ते की सेहत भी अच्छी हो
गई। उसके बाल मक्खन की तरह चिकने और
चमकदार दिखाई देने लगे।
एक दिन शहर से हाथीवान का रिश्तेदार
बांगड़ू आया। कुत्ते को देख वह उस
पर रीझ गया और बोला –चाचा,कुत्ते को मुझे दे दो। बड़ा ही प्यारा है।इसका हाथीशाला में
क्या काम।
-अरे लल्ला, यह राजा के हाथी का दोस्त है। सारे दिन इखट्टे रहते हैं।
इसे तो तुझे मैं नहीं दे सकता।
-मैं इसके बदले तुम्हें खूब सारा पैसा दूँ तो भी न दोगे ?
पैसे के नाम उसका मन डोल गया।
-अच्छा चल अपने प्यारे भीतीजे की ही बात मान लेता हूँ।
बाँगड़ू अच्छी -खासी
कीमत देकर कुत्ते को अपने साथ ले गया| कुत्ता जाते हुए पीछे
मुड़मुड़कर देखने लगा।शायद हाथीवान को उस पर दया आ जाए। पर उस बेदर्दी ने कुत्ते का
दर्द समझते हुए भी अंजान बनने की कोशिश की। बाँगड़ू बड़ी बेदर्दी से आगे की तरफ
खींचता चला जा रहा था।
कुत्ते के
बिना हाथी बड़ा ही दुखी हुआ और ज़ोर ज़ोर से
चिंघाड़ने लगा। ऐसा लगा मानो वह रो रोकर कुत्ते को पुकार रहा हो। उसने खाना -पीना ,-नहाना सब छोड़ दिया।बुझी -बुझी ,गीली
आँखें साफ बता रही थीं कि वह किसी कष्ट में है।
लोगों ने राजा को इसकी खबर दी । राजा घबरा गया। उसने तुरंत अपने मंत्री को बुलाया और कहा – मंत्री जी ,हमारे
प्यारे हाथी ने खाना -पीना छोड़ दिया है इससे तो वह
कमजोर हो जाएगा। उसकी परेशानी का कारण जल्दी ही पता कीजिये। वरना हमें चैन
न मिलेगा।
मंत्री ने
हाथी की अच्छी तरह जांच –पड़ताल की पर उन्हें उसके शरीर
में कोई बीमारी न दिखाई दी ।
उन्होंने हाथीवानों
से पूछा – हाथी किसी को प्यार करता था क्या ?इससे इसका कोई प्रिय तो नहीं बिछुड़ गया ?कहीं उसी के गम में दुखी हो।
-हाँ मालिक
!इसकी एक कुत्ते से बहुत दोस्ती थी ।दोनों घंटों खेला करते थे। कुछ दिनों
पहले उसे एक आदमी
ले गया है । तभी से यह हाथी बेचैन है। एक हाथीवान बोला।
मंत्री को उसकी बात जंच गई ।
उसने राजा को बताया –महाराज,हाथी अपने दोस्त कुत्ते से बिछुड़ जाने के
कारण बहुत दुखी है। इसी से सब कुछ त्याग बैठा है। राज्य में घोषणा करवा दीजिए कि जिसके घर में हाथी का मित्र पाया जाएगा उसे आप सजा देंगे।
राजा ने घोषणा करवा दी। । इस समाचार को सुनकर बाँगड़ू घबरा गया और उसने कुत्ते को तुरंत छोड़ दिया।
कुत्ता सरपट दौड़ता हुआ आया और हाथी से चिपट गया जैसे वर्षों बाद मिला
हो। उसकी आँखों से तो बहते हुए खुशी के आँसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
हाथी ने दोस्त को सूड़ से बड़े प्रेम
से खाना खिलाया
,बाद में खुद
ने खाया।बहुत दिनों के बाद दोस्तों ने भरपेट चावल के दानों का स्वाद लिया।
वहाँ खड़े लोग उनकी दोस्ती को देख चकित थे और पहली बार उन्होंने जाना कि पशु
भी प्यारभरी हवा मेँ सांस लेना चाहते हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज मंगलवार (13-03-2017) को
जवाब देंहटाएं"मचा है चारों ओर धमाल" (चर्चा अंक-2605)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'