अप्रैल -जून 2021 बालप्रहरी में प्रकाशित
मोहब्बत की दुनिया
सुधा भार्गव
एक थी बिल्ली ,एक था बिलौटा। बिल्ली का नाम चमेली ,बिलौटे के नाम गेंदा। गेंदा अपनी बहन को बड़ा प्यार करता। एक दिन चमेली बड़ी सुस्त थी। उसे देख गेंदा परेशान हो उठा।
बोला - “म्याऊँ --म्याऊँ मेरी नाजुक सी बहना तेरा मुंह सूखा -सूखा क्यों ?”
“मऊ --मूँ --बहुत भूखी हूँ।”
“तू भूखी !विशवास नहीं होता।तेरा वश चले तो दुनिया भर का दूध सपासप सपासप गटक जाए।”
“सच बोल रही हूँ। पड़ोस में जो मसखरा चूहा घूमता रहता है उसकी तरफ सुबह मैं धीरे -धीरे बढ़ रही थी कि वह बेहोश हो गया। इतने में चुहिया आई और उसे देख रोने लगी। मैंने तो भैया उसे छुआ भी नहीं था। न जाने कैसे बेहोश हो गया। तभी फटाफट पेंदने से गुलाबी-गुलाबी दो बच्चे उछलते आये और उसे उठाकर ले गए। उनका बिल पास ही था। मसखरा तो ऐसा चालक निकला कि बिल में घुसते ही उठ बैठा। मुँह चिढ़ाते हुए मुझे टिल्ली --टिल्ली करने लगा।”
“हा --हा --हा तो उस मसखरे ने हमारी बहना को ठग लिया।” गेंदा जोर से हँ स पड़ा ।
“भैया तुम्हें हँसी सूझ रही है---मेरी जान निकले जा रही है। मैं तो कल भी भू खी रह गई थी !”
“क्या कहा --दो दिन से भूखी है !”
“सच्ची मुच्ची !कल एक रसोई में घुसी। खौलते दूध की खुश्बू आ रही थी. मैंने देखा मेज पर एक मेजपोश बिछा है और उस पर बड़े से कटोरे में दूध ठंडा होने को रखा हैं। मेरी खुशी का ठिकाना न था । सोच रही थी कल कुछ नहीं खाया तो क्या हुआ !आज तो छक कर दूध पीऊँगी। तभी एक बच्चा घुटने के बल चलकर बड़ी फुर्ती से मेजपोश पकड़ कर खड़े होने की चेष्टा करने लगा। मेरे तो होश उड़ गए। मैं ने जोर से छलांग लगाईं और झटके से कटोरे को दूर फ़ेंक दिया। बच्चा तो जलने से बच गया पर भूखा था। गिरे दूध को देखकर रोने लगा। उसकी माँ आई -बच्चे को कलेजे से लगा लिया। मुझे देखकर उसका पारा चढ़ गया। जोर से चिल्लाई-"इस बिल्ली ने जीना हराम कर दिया है। डंडा मारकर इसे भगाओ तो ।”
“गेंदा बता मेरी क्या गलती थी जो उसने मुझे गाली दी। अगली बार उस मैया को छोडूँगी नहीं।उसके पैर पर अपने पंजे जरूर चुभो कर रहूँगी।”
"उस मैया का क्या दोष !न हम उसकी भाषा जाने न वह हमारी! सच्चाई बताता कौन ?चल कुछ खा ले। कल से तेरा पेट खाली है। कैसी मुरझा गई है।”
“कल से नहीं रे परसों से भूखी हूँ।”
“ऐं --अब तू मुझसे ही मसखरी करने लगी।”
“मैं एकदम सुच्ची -सुच्ची बोल रही हूँ। वो नुक्कड़ पर मोटू हलवाई की दुकान हैं न।परसों दूध से भरी बड़ी सी लोहे की कड़ाई रखी थी। उसके चारों तरफ मोटी मलाई की परतें एक के ऊपर एक जमी थी। क्या चमकदार मलाई--मोटी सी चमचम। उसकी खुशबू अलग नथुनों में घुसी जा रही थी। मोटू तो मुझे कहीं दिखलाई न दिया। इधर-उधर नजर घुमाती सबकी आँखों से बचती दूकान में तो घुस गई। जैसे ही मैंने मलाई पर पंजे जमाकर उसे खाना चाहा ठक -ठक की आवाज से चौंक पड़ी। देखा -दुबली-पतली कमजोर सी बुढ़िया लाठी के सहारे दुकान में पीछे की ओर से घुस रही है । मलाई देख उसकी आँखों में चमक आ गई लगा जैसे उसने कभी मलाई खाई ही नहीं। मुझे उस पर बड़ा तरस आया। अपनी भू ख तो भूल ही गई और मैं परात के पीछे छुप कर उसे देखने लगी। वह तो लपलपालाप खाने लगी। उसे खाता देख मुझे बड़ा अच्छा लगा। इतने में मोटू आ गया और अपनी बूढ़ी माँ को घसीटते ले जाने लगा। मुझे बड़ा गुस्सा आया। मैं परात के पीछे से निकली और मार की परवाह न करते हुए मलाई खाने लगी। मुझे देख मोटू हलवइया बौखला गया और माँ को छोड़ मेरे पीछे भागा। मैं तो एक छलांग में ही बाहर हो गई पर गुस्से में अंधा वह मेरे पीछे भागता ही गया--भागता ही चला गया । भला मैं क्या उसके हाथ आने वाली थी। हांफता हुआ लौट गया होगा --बेचारा !ह --ह । ''
“तुझे कब से दूसरों पर दया आने लगी है ?”
“जबसे यह कोरोना चुड़ैल आन बसी है। ठकुरा धोबी को यही चुड़ैल तो निगल गई। उसके दोनों बच्चों से उनका पिता छीन लिया। बेचारे भूखे प्यासे घूम रहे हैं । कल तो हिना मौसी ने उन्हें अपने हिस्से की रोटी खिलाई। अच्छा गेंदा एक बात बता -जब मौसी बच्चों को रोटी दे सकती है तो मोटू हलवाई अपनी माँ को दूध मलाई क्यों नहीं खाने देता!”
“क्योंकि वह भी भूखा है।”
“ओह अब समझ में आया उसका पेट इतना बड़ा क्यों हैं !भूख लगने पर पूरी कड़ाई की मलाई चाट जाता होगा ।”
“अरे यह बात नहीं!कोई रोटी का भूखा है तो कोई पैसे का भूखा । यह हलवाई पैसे का भूखा है।अपनी माँ को मलाई खाने को देगा तो उसका पैसा कम हो जाएगा। उसे बेचकर वह ज्यादा पैसा कमायेगा।”
“मोटू एकदम अच्छा नहीं है। लगता है वह ऊपर से गिरा और जमीन पर आते ही बड़ा हो गया। भूल गया माँ ने कितनी मेहनत से उसकी देखरेख की। माँ को वह थोड़े सी मलाई भी नहीं खिला सकता! मुझे तो यह सोच सोचकर रोना आ रहा है।”
“बात ही कुछ ऎसी है ।मुझे सुनकर भी बड़ा कष्ट हो रहा है। चल बहना चल !हम अपनी ही दुनिया में भले। जहाँ प्यार और मोहब्बत का अब भी झरना बहता है।”
दोनों कलाबाजी दिखाते जंगल पहुँच गए। बिल्ली माँ ,गेंदा और चमेली के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी। उसको देखते ही वे उसकी गोद में छिप गए और माँ प्यार से उन्हें चूमने -चाटने लगी।
समाप्त
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