प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

शनिवार, 3 मार्च 2018

अनुराग पत्रिका में प्रकाशित बालकहानी


अंक जुलाई-सितंबर 2009


जूठा गाल/सुधा भार्गव
      
      रात भर दूधिया बादल नींद की गोद में चुप रहा !सुबह होते ही वह चंचल हो उठा और खेलने लगा सूर्य के साथ आँख मिचौनी ! सूर्य भी कभी उसके पीछे छिप जाता ,कभी हँसता हुआ निकल आता !बड़ी शान से कहता _देखो मैं फिर आ गया !बादल के रास्ते में कभी पर्वत आते कभी पेड़ , वह उन्हें झुक झुककर प्यार करता !जिन्हें प्यार नहीं कर पाता उनकी ओर हाथ हिलाकर कहता --शुभ -प्रभात !
     उड़ते -उड़ते बादल थक गया !सुस्ताने के लिए वह नीचे उतरा !वहाँ घर के चबूतरे पर एक लड़की बैठी थी १ उसका नाम हंसिका था !हंसिनी की तरह गोरी -गोरी ,लम्बी गर्दन वाली !बादल ने उसका गाल चूमा और उड़ गया !हंसिका रोने लगी ! बादल को बड़ा अचरज हुआ !वह ठहर गया ! बोला -मैंने तो तुम्हें धीरे से चूमा था !इसमें बड़े-बड़े आंसुओं को टपकाने की क्या जरुरत आन पड़ी।'
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तुमने मेरा गाल जूठा कर दिया !'
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मैंने तुम्हें खाया था क्या जो तुम जूठी हो गयी !'बादल बिगड़ गया !'
       '
हाँ ---हाँ --मैं जूठी हो गयी !मेरा गाल भी ख़राब हो जाएगा !'
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ये बेसिर -पैर की बातें तुम्हें किसने बताईं ?'
       '
मेरी दादी ने और किसने !वे कभी झूठ नहीं बोलती हैं !'
        
दादी ने हंसिका के रोने की आवाज सुन ली थी !वे बेचैन हो उठीं !लाठी टेकती किसी तरह अपने को संभालती आईं !उन्हें देखते ही हंसिका के रोने का ढोल और जोर से बजने लगा !'
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दादी माँ -----बादल ने मेरा -----गाल जू ---ठा करके रख दिया !'वह अपना गाल जोर -जोर से रगड़ने लगी जिससे वह साफ हो जाय !'
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यह तो मेरे पीछे बिना बात पड़ गई है !मैंने तो इसे जरा सा छुआ था !मैं अभी आपको दिखाता हूँ कैसे छुआ था !'बादल ने एक बार फिर हंसिका के गाल पर अपने होठों की छाप लगा दी !अब तो हंसिका जमीन पर लोट गयी और हाथ पैर पटककर भोंपू की आवाज अपने मुंह से निकालने लगी !
        
बादल उसके रंगढंग देखकर सकपका गया !बोला -'दादी माँ आप ही बताओ अगर इसके गाल को चूम लिया तो क्या गलती कर दी !'
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बच्चों के गाल बहुत कोमल होते हैं !बार -बार पप्पी लेने से वे फट जाते हैं !उनमें जलन होने लगती है !फिर क्रीम लगाकर उनको चिकना करना पड़ता है !'
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तब क्या हंसिका के गाल फट जायेंगे !कोई बात नहीं ,मैं इनकी सिलाई कर दूंगा।
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फिर तो उसको ओर परेशानी हो जायेगी !गाल सीने के लिए सुई चुभोनी पड़ेगी !सुई चुभोने से खून निकल आएगा !'
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ओह तब मैं क्या करूँ !'बादल ने अपना माथा पकड़ लिया !
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इसमें क्या है !गाल पर प्यार करना बंद कर दो !'
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लेकिन हंसिका बहुत प्यारी है !प्यारे बच्चे तो ,सबको अच्छे लगते हैं !मन चाहता है उन्हें गोद में ले लूँ ,बाहों में सुलाऊं और -----और गुलाबी गाल का चुम्मा ले लूँ !'
शरारती बादल अपनी गोलमटोल आंखों से हंसिका की ओर देखने लगा !
        '
देखो दादी ,यह फिर मुझे तंग करेगा !'हंसिका दादी के पीछे छिपने की कोशिश करने लगी !'
          
नादान बादल की शरारत का आनंद दादी मन ही मन ले रही थीं !वे हंसिका को नाराज भी नहीं करना चाहती थीं !बादल को समझाने के अंदाज में बोलीं -तुम्हारी ज्यादा छेड़खानी अच्छी नहीं !हंसिका तुमसे बहुत छोटी है !तुम गाल की बजाय उसके माथे को चूमकर अपनी इच्छा पूरी कर सकते हो !'
           
हंसिका को दादी की बात अच्छी नहीं लगी !उसके दिमाग में उछल कूद होने लगी -'यह बादल दूधिया क्यों लगता है !शायद इसके पेट में दूध भरा है !जैसे ही यह मेरे माथे पर बैठेगा मैं इसके पेट में नाखून चुभोकर सुराख़ कर दूंगी !दूध झर -झर बहने लगेगा !आकाश की ओर सिर उठाऊंगी तो सीधा मेरे मुहँ में जाएगा !उसको ऐसा मजा   चखाऊँगी कि फिर मुझे परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा !'
            '
बादल उसके मन की बात भाँप गया और सतर्क हो गया! वह हंसिका के माथे पर टिका ! स्नेह की वर्षा करके उसे भिगो दिया और पल में ही तेजी से उड़ चला ! उसके चेहरे पर मुस्कान थी !हृदय में लोगों के लिए प्यार था और मन में विश्वास था कि  प्यार  के  बदले प्यार ही मिलेगा !
                                      

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