प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

मंगलवार, 6 मई 2025

कल जब कथा कहेंगे







28 फरवरी को मेरे निवास स्थान पर इस कहानी संग्रह के प्रकाशित होने की खुशी में
विभा रानी श्रीवास्तव,मधुरेश नारायण,राश दादा राश, राही राज, प्रीति राही, ऋता शेखर मधु आए।अपना अमूल्य समय देकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। कहानियों के साथ-साथ कविता और गीतों के गूंजते संगीत ने सबका मन मोह लिया। ऋता जी ने कार्यक्रम का संचालन बहुत कुशलता से किया और डॉक्टर रचना(बहू )ने घर की बागडोर संभाली। जलपान व साहित्यिक चर्चा के साथ समाप्ति हुई।इस तरह सबके सहयोग से कार्यक्रम सफल रहा। दिल से मेरा सबको धन्यवाद ।





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