प्यारे बच्चों

कल सपने में देखा -मैं एक छोटी सी बच्ची बन गई हूं । तुम सब मेरा जन्मदिन मनाने आये हो । चारों ओर खुशियाँ बिखर पड़ी हैं ,टॉफियों की बरसात हो रही है । सुबह होते ही तुम में से कोई नहीं दिखाई दिया ।मुझे तो तुम्हारी याद सताने लगी ।

तुमसे मिलने के लिए मैंने बाल कुञ्ज के दरवाजे हमेशा के लिए खोल दिये हैं। यहाँ की सैर करते समय तुम्हारी मुलाकात खट्टी -मीठी ,नाटी -मोती ,बड़की -सयानी कहानियों से होगी । कभी तुम खिलखिला पड़ोगे , कभी कल्पना में उड़ते -उड़ते चन्द्रमा से टकरा जाओगे .कुछ की सुगंध से तुम अच्छे बच्चे बन जाओगे ।

जो कहानी तुम्हें अच्छी लगे उसे दूसरों को सुनाना मत भूलना और हाँ ---मुझे भी वह जरूर बताना ।
इन्तजार रहेगा ----! भूलना मत - -

मंगलवार, 6 मई 2025

उड़क्कू की जीत -सुधा भार्गव


प्रकाशन विभाग 

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 

भारत सरकार 

प्रथम संस्करण -2025 

मूल्य रुपये 75 

 

     उड़क्कू की जीत  बाल उपन्यास  आश्चर्य भरे पड़ावों से गुजरती एक ऐसी यात्रा है जिसका सम्बंध पुराने समय  से आज तक चला आ  रहा  है। उड़क्कू   के  सुनहरे दिन बड़े रोमांचक व साहस से  भरे थे। एक समय था जब वह दिलों पर राज करता था। पर धीरे -धीरे लोग उससे दूर होते गए। भावनाओं , संवेदनाओं के अभाव में  मोबाइल  पर हाय -हेलो होने लगी और प्यार भरे रिश्तों में रूखापन  आ गया। दुख की बदली छाने पर भी उड़क्कू ने  हिम्मत नहीं हारी।अंत में अपनी  ओर ध्यान आकर्षित करने में सफल ही रहा। 

अब यह उड़क्कू कौन है !यह तो पूरी तरह से  तभी पता लगेगा जब प्यारे बच्चे उपन्यास के पृष्ठ पलटते हुए उसकी उड़ान  में शामिल हो जाएँगे । आशा है उड़क्कू के साथ अपनी उड़ान भरते समय मेरे बाल पाठक   उमंग व उत्साह के झरोखों से झाँकते मिलेंगे।


 जैसे ही उपन्यास हाथ लगा आवरण ने मन जीत लिया। अंदर की चित्र सज्जा,फॉन्ट का आकार  बालमन के अनुरूप है। कागज की गुणवत्ता भी उत्तम है। इसके लिए प्रकाशन विभाग की पूरी टीम का बहुत बहुत  धन्यवाद । 




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