नए भारत का नया सवेरा
किशोर उपन्यास
सुधा भार्गव
साथियों ,नए भारत का नया सवेरा (किशोर उपन्यास ) आखिर आज मेरे हाथों में आ ही गया । इसमें मैंने पर्यावरण की नब्ज पहचान कर प्रकृति से पलायन बाद को रोकने की कोशिश की है जिससे नए भारत का निर्माण हो और वह एक नया सवेरा लेकर आए।
उपन्यास में एक ही विषय की विभिन्न कड़ियों को २० अध्याय में पिरोने का प्रयत्न किया है। छुट्टियों में दो बच्चे अपने माँ -बाप के साथ दादी -बाबा के गांव जाते हैं । यह गाँव पर्यावरण का दोस्त है।बाबा के घर में बच्चों की मुलाकात सूर्या चूल्हा ,सूर्या लालटेन और सूर्य पुत्र से होती है। उन मछलियों से भी मिलते हैं जो तालाब में तैर रही थीं साथ ही उसमें तैर रहे थे हरे -भरे पौधे।
विभिन्न विषय के अनुसार उपन्यास में चित्रों की व्यवस्था है। आवरण तो बहुत लुभावना है । मनीष वर्मा ने बहुत सूझबूझ व मेहनत से इन्हें बनाया है। पंकज चतुर्वेदी के सम्पादन का कमाल है कि पुस्तक त्रुटि विहीन लगती है। इसके लिए पंकज जी व उनकी पूरी टीम का बहुत बहुत धन्यवाद।
सुधा भार्गव
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