बच्चो
आजकल तो तुम्हारे दिन मोती जैसे और रातें चांदी सी हैं छुट्टियाँ जो चल रही हैं ।स्कूल की किताबें
छूने को तो मन ही नहीं करता होगा ।तुम्हारी तरह मंटू चूहा भी बहुत खुश है ।मालूम है क्यों ?
चलो उसी की कहानी सुनाते है ।
हमने इस बार कहानी को कविता में ढाल दिया है। तुम हाव- भाव के साथ कविता पाठ करोगे तो बहुत अच्छा
लगेगा ।
जीत गया भई जीत गया /सुधा भार्गव
आजकल तो तुम्हारे दिन मोती जैसे और रातें चांदी सी हैं छुट्टियाँ जो चल रही हैं ।स्कूल की किताबें
छूने को तो मन ही नहीं करता होगा ।तुम्हारी तरह मंटू चूहा भी बहुत खुश है ।मालूम है क्यों ?
चलो उसी की कहानी सुनाते है ।
हमने इस बार कहानी को कविता में ढाल दिया है। तुम हाव- भाव के साथ कविता पाठ करोगे तो बहुत अच्छा
लगेगा ।
जीत गया भई जीत गया /सुधा भार्गव
एक भूरी बिल्ली थी।
भूरी के ऊपर काली बिल्ली थी
उस बिल्ली के ऊपर भी
एक गोरी
बिल्ली थी ।
भूरी की आँखें नीली
काली की कजरारी
गोरी की भूरी-भूरी
दिन रात चमकती तारों सी ।
तीनों चल दीं छुनक –छुनक
पैरों मेँ बाँधे हों मानो घुँघरू
एक मोटा चूहा जंगल मेँ टकराया
मुँह मेँ पानी सबके भर आया ।
भूरी बिल्ली ने मटकाई आँखें
चूहे की सेहत अच्छी
छूने मेँ है गुदगुदा
खून भी होगा उसका
मीठा –मीठा स्वाद भरा ।
काली बिल्ली ने पूँछ को झटका –
बोली--
बहुत कर ली बकबास
अब सुन मेरी बात
तू नहीं ,मैं खाऊँगी इसको
लगता मक्खन सा मुझको ।
बोली –
खबरदार !बढ़े जो आगे
पंजों से नोच गिराऊंगी
नरम –नरम मांस है इसका
मैं अकेली ही खाऊँगी ।
तीनों मेँ हुई गुत्थम गुत्था
बहसा –बहसी मेँ बीता घंटा
भले –बुरे से अंजान रहीं
चूहे को खाना भूल गईं ।
चूहे ने अच्छा मौका पाया
बिल मेँ वह सरपट भागा
बिल्ली भागीं उसके पीछे
चूहा भागा
बिल्ली भागीं ।
भागमभाग –भागमभाग ---
आया न चूहा किसी के हाथ
शक्तिवान रह गया पछताता
चित्र गूगल से साभार
(अनुराग पत्रिका में प्रकाशित )
बहुत ही मजेदार कविता ।
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